भारत को अमेरिका ने दिया एसटीए-1 का दर्जा, चीन को लगा बड़ा झटका

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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का भारत को अपने सहयोगी देशों के बराबर एसटीए- 1 ट्रेडिंग स्टेटस का दर्जा दे दिया है। यह चीन के लिए करारा तमाचा है जो परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की एंट्री की राह में बार-बार रोड़े अटका रहा है। अमेरिका ने सोमवार को भारत को सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (स्ट्रैटिजिक ट्रेड आॅथराइजेशन- 1 यानी एसटीए- 1) देश का दर्जा देकर उसके लिए हाई-टेक उत्पादों और सैन्य उपकरणों की बिक्री के लिए निर्यात नियंत्रण में रियायत दे दी। भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है, जिसे इस सूची में शामिल किया गया है जबकि पूरे एशिया में सिर्फ जापान और दक्षिण कोरिया को ही यह दर्जा हासिल है।
America gives STA-1 status to China, China faces big blow
ट्रंप प्रशासन ने भारत को एसटीए-1 का दर्जा देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से लादी गई प्रमुख शर्त में ढील दे दी। ओबामा प्रशासन ने शर्त रखी थी कि भारत को एसटीए- 1 का दर्जा तभी दिया जाएगा जब वह तकनीकी पर नियंत्रण रखनेवाले के सभी चार प्रमुख संगठनों- एनएसजी, मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजाइम, वासेनार अरेंजमेंट और आॅस्ट्रेलिया ग्रुप- की सदस्यता हासिल कर ले।

भारत एनएसजी के सिवा अन्य तीन की सदस्यता हासिल कर चुका है, लेकिन चीन एनएसजी की राह में डटकर खड़ा है। ओबामा प्रशासन के आखिरी कुछ महीनों में एनएसजी की सदस्यता पाने के कई असफल प्रयासों के बाद भारत ने अमेरिका से एसटीए- 1 की शर्तों में ढील देने पर विचार करने को कहा था।

भारत सरकार की दलील थी कि चीन  एनएसजी सदस्यता की राह में बाधा खड़ा करके सुरक्षा उपकरणों के सम्मिलित उत्पादन में भारत-अमेरिका के बीच सहयोग और अति उच्च तकनीक के द्विपक्षीय आदान-प्रदान पर भी ग्रहण लगा रखा है। अब जब भारत को एसटीए- 1 का दर्जा मिल चुका है तो सैन्य उपकरणों एवं उच्च तकनीकी के आदान-प्रदान के क्षेत्र में अमेरिका-भारत के बीच सहयोग तेजी से बढ़ेगा।

अमेरिका के हथियार नियंत्रण की दो लिस्ट हैं। पहला- इंटरनैशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेग्युलेशंस (आईटीएआर) लिस्ट, जो गृह मंत्रालय के अंदर आता है और दूसरा- एक्सपोर्ट ऐडमिनिस्ट्रेशन रेग्युलेशन (ईएआर) लिस्ट, जिस पर वाणिज्य विभाग का नियंत्रण है। साल 2013 में ओबामा प्रशासन ने कई संवेदनशील उपकरणों को आईटीएआर से हटाकर ईएआर लिस्ट में डाल दिया था।

तब भारत को स्ट्रैटिजिक ट्रेड आॅथराइजेशन- 2 (एसटीए- 2) में रखा गया था जबकि अमेरिका के निकटतम सहयोगी देशों को एसटीए-1 कैटिगरी में रखा गया था जिनमें ज्यादातर नाटो के सदस्य देश शामिल थे। दोनों कैटिगरीज में आनेवाले देशों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की शर्तों में बड़ा अंतर है।

भारत का केस आगे ले जाने में बड़ी चुनौती रही क्योंकि भारत अमेरिका का सैन्य सहयोगी नहीं है और न तो वह खुद को इस तरह पेश करना चाहता है। ऐसे में ओबामा प्रशासन के आखिरी दिनों में भारत को बड़े सुरक्षा सहयोगी (मेजर डिफेंस पार्टनर यानी एमडीपी) का दर्जा देने का फैसला हुआ। लेकिन, इस फैसले के पूरी तरह प्रभावी होने के लिए ईएआर को संशोधन करके एसटीए- 1 में एमडीपी कैटिगरी को भी शामिल करना था। इधर, ईएआर ने एसटीए- 1 में संशोधन किया तो अमेरिकी संसद कांग्रेस ने भी कानून में एमडीपी की व्याख्या को शामिल करके बिल पास कर दिया।