नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर आम्रपाली ग्रुप को कड़ी फटकार लगाई है। फ्लैट खरीदारों और आम्रपाली ग्रुप के बीच चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली से करोड़ों रुपये साइफन (गलत तरीके से दूसरे खातों में ट्रांसफर करना) करने को लेकर सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप से पूछा है कि उसके पास इतने पैसे कहां से आए और किन नियमों के तहत किस काम के लिए ये पैसे किन कंपनियों को ट्रांसफर किए गए?
Amrapali group’s rebuke of the Supreme Court, said- Do not show too much intelligence
शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते आम्रपाली समूह के निदेशकों को चेतावनी दी कि वे कोर्ट के साथ ज्यादा होशियारी न दिखाएं, अन्यथा वह उन्हें बेघर कर देगा। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के निदेशकों को चेतावनी दी कि वह लंबित रियल एस्टेट परियोजनाओं के निर्माण की लागत वसूल करने के लिए उनकी सारी संपत्ति को बेच सकता है।
कोर्ट ने 15 दिन के भीतर आम्रपाली समूह के प्रबंध निदेशक और निदेशकों की चल एवं अचल संपत्तियों के मूल्य के बारे में रिपोर्ट मांगी। कोर्ट ने आम्रपाली की परियोजनाओं का रख-रखाव देखने वाली कंपनियों और उसकी ओर से जुटाई गई पूंजी के बारे में ब्योरा मांगा है। यही नहीं कोर्ट ने मौजूदा निवेशकों के साथ ही 2008 से अब तक कंपनी छोड़ चुके निदेशकों के बारे में भी जानकारी मांगी है।
इसके बाद कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि जो करोड़ों रुपये साइफन किए गए, वे कहां से आए और किन कंपनियों को दिए गए? रकम किस रूप में दी गई, किसी काम के लिए अडवांस या फिर उधार या फिर किसी अन्य बहाने से। कौन से नियम या प्रावधान के तहत रकम ट्रांसफर की गई? रेरा लागू होने से पहले रकम ट्रांसफर की गई या बाद में? कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को आदेश दिया है कि तारीख के साथ ट्रांसफर रकम का सही-सही ब्योरा पेश किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली जोडिएक और आम्रपाली सिलिकॉन सिटी दोनों के इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को मुक्त कर दिया है। इन दोनों प्रोजेक्ट के लिए इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग लंबित है। आम्रपाली सिलिकॉन सिटी नोएडा के सेक्टर 76 में है और इसमें लगभग 5,000 फ्लैट हैं। इस प्रॉजेक्ट को 2013 तक पूरा किया जाना था।
आम्रपाली जोडिएक नोएडा के सेक्टर 120 में है और इसमें 2,230 अपार्टमेंट हैं। बैंक आॅफ बड़ौदा ने सितंबर 2017 में आम्रपाली ग्रुप के हिस्से आम्रपाली सिलिकॉन सिटी के खिलाफ इन्सॉल्वंसी मामला दाखिल किया था। बैंक आॅफ बड़ौदा ने कहा था कि कंपनी ने 55 करोड़ रुपये के लोन पर डिफॉल्ट किया है।
डेलॉयट के राजेश सैमसन को इस मामले में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने आईआरपी नियुक्त किया था। इसी महीने सिद्धी इंटीरियर्स ने भी आम्रपाली ग्रुप की एक अन्य कंपनी आम्रपाली जोडिएक डिवेलपर्स के खिलाफ इनसॉल्वंसी केस दाखिल किया था। सिद्धी इंटीरियर्स ने कहा था कि कंपनी 4.19 करोड़ रुपये बकाया नहीं दे पाया है। एनसीएलटी ने इस मामले में अनिल कुमार को आईआरपी नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के खिलाफ मामले की सुनवाई जारी रहने तक आईआरपी की ओर से किसी भी इनसॉल्वंसी प्रोसीडिंग पर रोक लगा दी है।