पहले ही दिन रूलबुक से चल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने जीता विपक्ष का दिल

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नई दिल्ली। नवनिर्वाचित राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के लिए सदन में पहला दिन काफी हलचल से भरपूर रहा। पहले ही दिन उन्होंने रूल बुक का इस्तेमाल किया और प्राइवेट मेंबर के बिल पर वोटिंग करवाई। साथ ही विपक्ष की आॅफ रेकॉर्ड टिप्पणियों पर भी ध्यान दिया। सामजवादी पार्टी के सांसद विशंभर प्रसाद का प्रस्तावित एक प्राइवेट बिल वोटिंग के बाद रिजेक्ट कर दिया गया।
Rajiv Rajya Sabha deputy speaker Harivansh won the heart of Opposition on the very first day
प्रस्ताव में एससी-एसटी-ओबीसी के लोगों के आरक्षण को किसी भी राज्य में अस्वीकार नहीं करने की बात सुनिश्चित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में संशोधन की मांग की गई थी। प्रस्ताव में कहा गया था कि इन जातियों के लोग जब रोजगार की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं और वहां स्थाई रूप से बस जाते हैं तो उन्हें आरक्षण के लाभ के लिए अपात्र समझा जाता है।

इस पर सरकार ने जवाब दिया कि एससी/एसटी/ओबीसी में जातियों को शामिल करने या उन्हें बाहर करने की प्रक्रिया संसद द्वारा तय की गई है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री के इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और बिल पर वोटिंग की मांग की गई। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बीच में हस्तक्षेप किया और कहा कि नियम इस पर वोटिंग की इजाजत नहीं देते हैं। इसके बाद उपसभापति ने रूल बुक देखने के बाद कहा, ‘एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसे रोका नहीं जा सकता है।’

उपसभापति की इस प्रतिक्रिया की विपक्ष ने सराहना की और मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया। इसके बाद वोटिंग हुई और पक्ष में 32 वोट के मुकाबले विपक्ष को 60 वोट मिलने से बिल रिजेक्ट हो गया।  बता दें कि उपसभापति के चुनाव के दिन जहां पीएम ने जहां उनकी जमकर तारीफ की थी, वहीं विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था, ‘हरिवंश जी पहले एनडीए के प्रत्याशी थे, लेकिन चुनाव जीतने और उपसभापति बनने के बाद यह पूरे सदन के हो गए हैं किसी एक पार्टी के नहीं।

वह अपना काम अच्छे से करें, हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।’ आजाद ने हरिवंश को राज्यसभा का उपसभापति चुने जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार उपसभापति बने हैं तो उम्मीद है कि सदन की कार्यवाही मीडिया में ज्यादा दिखाई जाएगी और उनका अनुभव देश के काम आएगा।