इमरान के लिए आर्थिक मोर्चा बनेगा सबसे बड़ी चुनौती, बेलआउट हासिल करने में होगी दिक्कत

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान को आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। चीन के डेवेलपमेंट प्लान के तहत लोन लेनेवाले देशों को लेकर अमेरिका का रवैया काफी सख्त है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट हासिल करने में उन्हें काफी मुश्किल आएगी।
The biggest challenge that will be the economic front for Imran, will be the difficulty in getting bailouts.
अगर पाकिस्तान को यह बेलआउट पैकेज नहीं मिलता है तो फिर देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर कर पाना भी आसान नहीं होगा। आपको बता दें कि अमेरिका के 16 सेनेटरों ने ट्रंप प्रशासन से अनुरोध किया है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा उनदेशों को बेलआउट देने से रोका जाए जिन्होंने चीन से लोन लिए हैं।

इमरान खान ऐसे समय में सत्ता पर काबिज हो रहे हैं जब पाकिस्तान को तत्काल वित्तीय मदद की दरकार है। अब अमेरिका के रवैये को देखते हुए इमरान खान को चीन से मदद और आईएमएफ बेलआउट में से किसी एक को चुनना होगा। माना जा रहा है कि आईएमएफ पाकिस्तान से यह मांग कर सकता है कि वह विदेश खासतौर से चीन से पैसे लेना पूरी तरह बंद कर दे। उधर, खान ने चीन को भी आश्वासन दिया है कि वह 62 अरब डॉलर के सीपीईसी प्रॉजेक्ट में पेइचिंग द्वारा किए जा रहे निवेश पर सकारात्मक रुख अपनाएंगे।

अमेरिकी सेनेटरों ने विदेश और वित्त मंत्रियों को पत्र लिखा है जिसमें सीधे तौर पर पाकिस्तान, श्री लंका और जिबूती का जिक्र किया गया है, जिन्होंने चीन से अरबों डॉलर का लोन लिया है लेकिन भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। उधर, अमेरिकी विदेश मंत्री पॉम्पियो पहले ही इस्लामाबाद को आगाह कर चुके हैं कि आईएमएफ बेलआउट का इस्तेमाल चीन के लोन को चुकाने में नहीं होना चाहिए। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव के कारण ऐसी टिप्पणी की गई है।

सेनेटरों ने दावा किया है कि चीन उधार लेनेवाले देशों की नीतियों पर नियंत्रण के लिए कर्जे बांट रहा है। खबरें हैं कि पाकिस्तान जल्द ही आईएमएफ से 12 अरब डॉलर (करीब 825 अरब रुपये) के पैकेज की मांग कर सकता है। कहा यह भी जा रहा है कि घाटे की भरपाई ही नहीं पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल चीन पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी ) के लिए मिले लोन को चुकाने में कर सकता है।

हालांकि पाकिस्तान ने इस दावे को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि आईएमएफ के पैसे का चीन के लोन को चुकाने में इस्तेमाल करने की उसकी कोई मंशा नहीं है। आपको बता दें कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है, ऐसे में उसे तत्काल वित्तीय मदद चाहिए। अब खान के सामने चुनौती यह है कि वह आईएमएफ से पैसा लें या चीन से।