जब चीनी दूतावास में भेड़ों का झुंड लेकर पहुंच गए थे वाजपेयी

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नई दिल्ली। 1965 में सिक्किम सीमा पर जो हुआ, वह भारत के प्रति चीन के लड़ाकू रवैये को बयां करने के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है। दोनों देशों के बीच चिट्ठियों के जरिए हुई बात से पता लगा कि चीन ने भारतीय सैनिकों पर तिब्बत के चरवाहों की 800 भेड़ें और 59 याक चुराने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं चीन ने अपने जानवर भारत से वापस मांगे और ऐसा न करने की स्थिति में परिणाम भुगतने को तैयार रहने तक की धमकी दी।
When Vajpayee came to the Chinese Embassy with a flock of sheep
चीन के बेतुके आरोप का विरोध करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जो उस समय सांसद थे, दिल्ली में चीनी दूतावास में भेड़ों का झुंड लेकर ही चले गए। वहां, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब चीन भेड़ों और याक पर विश्व युद्ध शुरू करेगा। प्रदर्शनकारियों के हाथ में तख्ते थे, जिनपर लिखा था, ‘हमें खा लीजिए, लेकिन दुनिया को बचा लीजिए।’

चीन इससे परेशान हो गया था कि इस प्रदर्शन से उसकी धमकी खुले में आ गई थी। इसके बाद चीन में भारतीय दूतावास को गुस्से से भरी एक चिट्ठी भेजी गई जिसमें शिकायत थी कि वाजपेयी का विरोध प्रदर्शन असल में भारत सरकार द्वारा समर्थित था। इस चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिक चीन के क्षेत्र में घुसे और वहां निर्माण कार्य भी किया।

इसके जवाब में भारत सरकार ने लिखा, ‘4 तिब्बतियों के भारतीय सैनिकों द्वारा अपहरण के मामले में 17 और 21 सितंबर को भेजी चिट्ठीयों में जवाब दिया जा चुका है। अन्य तिब्बती शरणार्थियों की तरह ही ये 4 भी अपनी इच्छा से बिना हमारी मंजूरी लिए भारत आए और शरण ली। ये किसी भी समय अपनी मर्जी से तिब्बत वापस जाने के लिए आजाद हैं। 800 भेड़ों और 59 याक के बारे में भी भारत सरकार पहले ही जवाब दे चुकी है। हमें इनके बारे में कुछ नहीं पता।’

वाजपेयी के ‘भेड़ प्रदर्शन’ पर भारत ने लिखा, ‘चीन ने 26 सितंबर की चिट्ठी में नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में शांतिपूर्ण प्रदर्शन का विरोध किया है। भारत सरकार का इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। यह चीन के अल्टिमेटम के खिलाफ भारतीय नागरिकों द्वारा शांतिपूर्ण और अच्छे मजाकिया तरीके से किया गया प्रदर्शन था।’