नई दिल्ली। देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी शुक्रवार शाम को पंचतत्व विलीन हो गए। वाजपेयी का अंतिम संस्कार दिल्ली के राजघाट के पास स्थित स्मृति स्थल में हुआ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर देश की कई जान-मानी हस्तियां मौजूद थीं। कई देशों के प्रतिनिधि और राष्ट्राध्यक्ष भी आखिरी विदाई में शामिल हुए। इस दौरान जब नमिता भट्टाचार्य ने अपने पिता अटल बिहारी वाजपेयी को मुखाग्नि दी तो सभी की निगाहें उन पर ही टिक गईं।
Be aware, about the daughter of Atal Bihari Vajpayee, who gave the fame
अटल अविवाहित थे लेकिन नमिता को उन्होंने गोद ली हुई बेटी बताया था इसलिए उनका सब कुछ नमिता ही थीं। आखिरी वक्त तक नमिता उनके साथ रहीं और जब उन्होंने आखिरी सांस ली तो वह फूट-फूटकर रोने लगीं। नमिता भट्टाचार्य राजकुमारी कौल की बेटी हैं जिन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने 70 के दशक में दत्तक पुत्री माना था। नमिता के पिता ब्रिज नारायण के निधन के बाद अटल ही कौल परिवार के संरक्षक और अभिभावक बन गए थे।
नमिता के साथ उनके पति रंजन भट्टाचार्य और बेटी निहारिका भी अटल बिहारी वाजपेयी के आवास में रहते हैं। रंजन भट्टाचार्य के माता-पिता नहीं थे इसलिए वह अटल जी को ही बापजी कहकर बुलाते थे । रंजन ने ओएसडी के रूप में भी कार्य किया था, जबकि उनके ससुर अटल बिहारी वाजपेयी उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री थे।
रंजन दिल्ली के श्री राम कॉलेज आॅफ कॉमर्स से इकॉनमिक्स आॅनर्स से ग्रैजुएट हैं। इसके बाद उन्होंने ओबेरॉय ग्रुप ट्रेनी के रूप में जॉइन किया और श्रीनगर के ओबेरॉय पैलेस में जनरल मैनेजर तक की रैंक हासिल की 24 साल की उम्र में। नमिता से वह कॉलेज में मिले थे। यह भी कहा जाता है कि वाजपेयी की अनुमति के बाद ही दोनों की शादी हुई थी।
अटल के दत्तक परिवार का हिस्सा थीं मिसेज कौल
नमिता की छोटी बहन भी हैं जिनका नाम नम्रता बताया जाता है। नम्रता पेशे से डॉक्टर हैं और लंबे समय से अमेरिका में हैं। नमिता के जिक्र के साथ ही उनकी मां राजकुमारी कौल का भी जिक्र आता है। वह भी नमिता के साथ ही वाजपेयी के आवास में रहती थीं और अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक परिवार का हिस्सा थीं।
‘अटल की सेवा की, हमेशा उनके साथ रहीं’
उनके बारे में वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने टेलीग्राफ में लिखा था, ह्यसंकोची मिस कौल अटल की सबकुछ थीं। उन्होंने जिस तरह अटल की सेवा की, वह कोई और नहीं कर सकता था। वह हमेशा उनके साथ रहीं। मई 2014 में जब मिसेज कौल का निधन हुआ तो एलके आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज से लेकर सोनिया गांधी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुई थीं। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी तब तक अल्जाइमर से पीड़ित हो चुके थे।