इलाहाबाद अर्धकुंभ मेले में मंडराया आतंकी खतरा, रक्षामंत्री और सेनाप्रमुख ने किया दौरा, सेना संभालेगी मोर्चा

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में अगले साल मार्च में होने जा रहे अर्धकुंभ मेले में पुलिस के साथ सुरक्षा का जिम्मा सेना उठाएगी. लाखों श्रद्धालुओं के शिरकत करने के चलते कुंभ मेले की पहचान विश्व में सबसे ज्यादा भीड़ वाले आयोजन के रूप में होती है.इससे पहले सेना की भूमिका महज स्थानीय प्रशासन के साथ इंजीनियरिंग सपोर्ट तक ही सीमित रहती थी, मगर इस बार श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी सेना के हवाले होगी.
Terror threat, hijacked by defense minister and army chief in Allahabad Ardhakumbha fair, Army will handle the Front
सूत्रों ने बताया कि आतंकी खतरे और कुंभ मेले के आकार को देखते हुए लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. सिर्फ पुलिस के भरोसे इतने बड़े आयोजन को लेकर आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता. ऐसे में सेना भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काम करेगी. बुधवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख बिपिन रावत ने इसी सिलसिले में इलाहाबाद का दौरा किया, बाद में रक्षामंत्री ने ट्वीट कर कुंभ मेले की सुरक्षात्मक तैयारियों को समीक्षा के बारे में जानकारी भी दी. इससे कुंभ मेले के आयोजन में सेना की बड़ी भूमिका के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है.

इलाहाबाद में प्रमुख मंदिरों को कुंभ मेले के दौरान छावनी में तब्दील कर दिया जाएगा। खासतौर से मेलास्थल पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी.हालिया वर्षों में नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर सेना के काम करने की भूमिका बढ़ी है.सरहद की सुरक्षा करने के लिए प्रशिक्षित सेना के जवान नियमित तौर पर मानवीय सहायता मिशन पर तैनात होते रहे हैं.मिसाल के तौर पर केरल को ही लीजिए, जहां बाढ़ से तबाही के दौरान सेना के जवानों ने हजारों लोगों की जिंदगी बचाई. इसी साल फरवरी में रेल मंत्रालय के अनुरोध पर सेना के इंजीनियरों ने मुंबई में रिकॉर्ड 117 दिनों में तीन फुटब्रिज का निर्माण किया.

जहां पिछले साल सितंबर में मुंबई के एलफिंस्टन स्टेशन का जर्जर ब्रिज गिरने से 23 लोगों की मौत हो गई थी.डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ रेप के मामले में आए फैसले पर उपद्रव की आशंका पर भी हरियाणा सरकार ने सेना की सहायता ली थी। हालांकि सैन्य जवानों की बढ़ती भूमिकाओं पर आलोचकों का कहना है कि सेना को अर्धसेना नहीं बनाना चाहिए. जवान सरहद की निगरानी के लिए प्रशिक्षित होते हैं, न कि पुलिस की तरह कानून-व्यवस्था मेंटेन करने के लिए.सेना के जवान भीड़ को काबू करने के लिए भी प्रशिक्षित नहीं होते.