दिमाग की बात
सुधीर निगम
जब तक दुनिया है तब तक राजनीति रहेगी। इस बार कुछ बड़ा नहीं केवल राजनीति पर छोटी छोटी कुछ बातें हो जाएं।
अटल जी किसके
अटल जी नहीं रहे, दुखी सभी है, लेकिन उनके नाम पर जो राजनीति हो रही है क्या वो उससे सुखी होंगे। कतई नहीं। भाजपा उन्हें भुनाने के चक्कर में है, तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ये बताने के चक्कर में कि उनके नाम पर राजनीति हो रही है। पहले कांग्रेस की बात। अटल जी को भुनाने का आरोप लगाने के पहले उन्हें सोचना चाहिए कि इंदिरा जी और राजीव जी के मामले में उन्होंने क्या किया था। क्या उसने उनकी हत्या को नहीं भुनाया था। दूसरे पर आरोप लगाने वाले पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें। और अन्य दलों की क्या बात करें, वो बेचारे एक ऐसे अदद नेता की तलाश में ही जिंदगी गुजार देंगे जिसे वो भुना सकें।
Implication or selfishness of politics
रही बात भाजपा की, तो वो तो भुनायेगी। अब ये बात अलग है कि उसमें कितना कामयाब हो पाएगी। कांग्रेस से प्रेरणा लेकर ही तो भाजपा ने ये सब सीखा है। और उससे बढ़कर किसी मुद्दे को बड़े इवेंट में तब्दील कर देना कोई वर्तमान भाजपा से सीखे। अब तक भाजपा ही कांग्रेस से सीख लेती रही, अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस को भाजपा से सीखना चाहिए।
आप तो ऐसे न थे
सीखने, सिखाने की बात चल रही है, तो सबसे आदर्शवादी की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। आम आदमी पार्टी उर्फ आप, ईमानदारी और शुचिता की प्रतीक (जैसा वो खुद मानते हैं)। आप तो ऐसे न थे। एक एक कर सब जाते जा रहे हैं, आ कोई नहीं रहा। आशुतोष गए, और अब आशीष भी खेत रहे। कुमार का विश्वास पहले ही टूट चुका है। उम्मीद की किरण बनकर उभरे, पर अब वह क्षीण होती जा रही है। व्यक्ति पूजा की बीमारी कांग्रेस से भाजपा में आई और अब आप भी इसके शिकार हो गए। भाई क्या कहें राजनीति है ही ऐसी चीज।
बाढ़ में भी राजनीति
नेतागिरी जो न कराए कम है। केरल की बाढ़ में भी लोग राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। उस पर भी लोगों को बांटने का काम चालू है।
तर्क सुनेंगे तो माथा पीट लेंगे। कई महानुभाव कह रहे हैं कि वहां सरेआम गाय काटी गई इसलिए यह आपदा आई। भाई लोगों लगे हाथ ये भी बता देते कि उत्तराखंड में बाढ़ और गुजरात में भूकंप क्यों आया था। हे ज्ञानियों, कभी समय मिले तो गाडगिल साहब की रिपोर्ट पढ़ लेना। एक तो सबसे बढ़कर निकले, उन्हें मैं ही क्या अच्छे अच्छे विद्वान भी ज्ञानी मानते थे। उनके अनुसार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति ही इस तबाही का कारण है। धन्य हैं ऐसे गुरु, इनकी तो मूर्ति बनाकर पूजा करना चाहिए।
जय हो राजनीति की।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है