जिनीवा। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि म्यांमार में रोहिंग्याओं के ऊपर सेना ने बर्बर अत्याचार किए। यूएन के शीर्ष मानवाधिकार निकाय के लिए काम करने वाले जांचकर्ताओं ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार को लेकर म्यांमार की सेना के शीर्ष अधिकारियों पर मुकदमा चलना चाहिए।
United Nations admits: Myanmar army did cruelty on Rohingyas, lawsuits for genocide massacre
जांचकतार्ओं की पहली रिपोर्ट के साथ यह सिफारिश की गई है। इसे संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों की अब तक की सबसे सख्त भाषाओं में से एक माना जा रहा है । इन अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि म्यामांर में मानवाधिकार उल्लंघन किया गया। पिछले अगस्त में रोहिंग्याओं के विरुद्ध खून-खराबा शुरू हुआ था। संयुक्त राष्ट्र समर्थित मानवाधिकार परिषद के तहत काम करने वाले तीन सदस्यीय तथ्यों की पड़ताल करनेवाली दल ने अपनी रिपोर्ट में घर-बार छोड़ चुके सैकड़ों रोहिंग्याओं की दास्तान, सैटलाइट फुटेज और अन्य सूचनाएं जुटाई हैं।
शरणार्थी रोहिंग्याओं की दास्तान, सैटलाइट फुटेज के उपयोग के माध्यम टीम ने अपराधों का ब्योरा तैयार किया है जिसमें सामूहिक बलात्कार, गांवों को जलाया जाना, लोगों को दास बनाया जाना, बच्चों को उनके मां-बाप के सामने ही मार दिया जाना आदि शामिल हैं। टीम को म्यांमार में पहुंच नहीं दी गयी और उसने इसकी निंदा की।
इस रिपोर्ट की प्रति म्यांमार सरकार को मिल गई है। टीम ने एक अनुमान का हवाला दिया जिसके हिसाब से हिंसा में 10,000 लोगों की जान चली गयी। जांचकतार्ओं ने मुकदमा के लिए म्यांमार की सेना के छह शीर्ष अधिकारियों के नाम लिए हैं। बता दें कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अपना घर छोड़े अब एक साल हो चुका है। इससे पहले सोमवार को फेसबुक ने म्यांमार सेना प्रमुख को मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी मानते हुए फेसबुक से बैन कर दिया है।