कोलकाता। गुदरी के लाल शायद इसे ही कहते हैं। तमाम दिक्कतें, अभाव के बाद भी जब कोई तपकर सामने आता है तो उसे ‘कुंदन’ कहते हैं। कुंदन यानी तपा हुआ सोना। भारत की स्वप्ना बर्मन ने बुधवार को 18वें एशियाई खेलों की हेप्टाथलन स्पर्धा में जब सोना जीता तो पूरे देश का सिर अपनी इस बेटी के प्रदर्शन से गर्व से ऊंचा हो गया। जिंदगी में हर बाधा को लांघने वाली स्वप्ना ने एशियन गेम्स में सात बाधाओं को लांघकर सोना अपने नाम किया। वह इस स्पर्धा में सोना जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं।
Asian Games 2018: Gold winning dream has made the head of the country proudly, rickshaw runs father
जानिए क्या होता है हेप्टाथलन
हेप्टाथलन में ऐथलीट को कुल 7 स्टेज में हिस्सा लेना होता है। पहले स्टेज में 100 मीटर फरार्टा रेस होती है। दूसरा हाई जंप, तीसरा शॉट पुट, चौथा 200 मीटर रेस, 5वां लॉन्ग जंप और छठा जेवलिन थ्रो होता है। इस इवेंट के सबसे आखिरी चरण में 800 मीटर रेस होती है। इन सभी खेलों में ऐथलीट को प्रदर्शन के आधार पर पॉइंट मिलते हैं, जिसके बाद पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के ऐथलीट का फैसला किया जाता है।
यूं जीता सोना
स्वप्ना ने सात स्पधार्ओं में कुल 6026 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया। स्वप्ना ने 100 मीटर में हीट-2 में 981 अंकों के साथ चौथा स्थान हासिल किया था। ऊंची कूद में 1003 अंकों के साथ पहले स्थान पर कब्जा जमाया। गोला फेंक में वह 707 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। 200 मीटर रेस में उन्होंने हीट-2 में 790 अंक लिए। पिछले साल एशियाई ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी वह स्वर्ण जीत कर लौटी थीं।
बेटी की सफलता पर मां हुईं भावुक
अपनी बेटी की सफलता से खुश स्वप्ना की मां बाशोना इतनी भावुक हो गई थीं कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। बेटी के लिए वह पूरे दिन भगवान के घर में अर्जी लगा रही थीं। स्वप्ना की मां ने अपने आप को काली माता के मंदिर में बंद कर लिया था। इस मां ने अपनी बेटी को इतिहास रचते नहीं देखा क्योंकि वह अपनी बेटी की सफलता की दुआ करने में व्यस्त थीं।
स्वप्ना के घरवालों ने अपनी बेटी के जीत का जश्न का जश्न मनाते हुए उसे आगे बढ़ने में हुई परेशानियों का भी जिक्र किया। स्वप्ना की मां ने कहा, ‘मुझे बेहद खुशी है। मैंने और स्वप्ना के पिता ने उसे यहां तक लाने में काफी कठिनाइयों का सामना किया है। आज हमारा सपना पूरा हो गया।’