सितंबर से नए वाहन खरीदने वालों को 3 और 5 साल अपफ्रंट इंश्योरंश कवर लेना होगा अनिवार्य

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मुंबई। इस साल सितंबर से नई कार और दोपहिया वाहन खरीदने वालों के लिए क्रमश: 3 साल और 5 साल का अपफ्रंट इंश्योरेंस कवर लेना अनिवार्य हो जाएगा। लॉन्ग टर्म के लिए प्रीमियम पेमेंट करने से नई गाड़ी की शुरूआती कीमत बढ़ जाएगी। हालांकि इससे कस्टमर्स को सालाना रीन्यूअल कराने की झंझट से छुटकारा मिल जाएगा।
Those who buy new vehicles from September must take 3 and 5 years of upfront insurance cover.
1500 सीसी से ज्यादा क्षमता वाली नई प्राइवेट कार के लिए शुरूआती इंश्योरेंस कवर कम-से-कम 24,305 रुपये का होगा, जो अभी 7,890 रुपये का है। इसी तरह 350 सीसी से ज्यादा क्षमता की बाइक्स के लिए बायर्स को 13,024 रुपये का पेमेंट करना होगा, जो फिलहाल 2,323 रुपये है। इंश्योरेंस प्रीमियम हर मॉडल्स के मुताबिक अलग-अलग हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को आदेश दिया था कि नई कार के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर 3 साल और टू-वीलर्स के लिए 5 साल के लिए होगा। यह आदेश 1 सितंबर से सभी पॉलिसीज पर लागू होगा। कोर्ट ने सभी इंश्योरेंस कंपनियों को लॉन्ग टर्म थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर आॅफर करने का आदेश दिया था क्योंकि गाड़ियों के लिए इंश्योरेंस अनिवार्य बनाने के बावजूद बहुत कम लोग इसे रीन्यू करा रहे थे। वाहनों के पुराने होने और उसकी वैल्यू तेजी से कम होने के चलते कई लोग या तो इसे सालाना आधार पर रीन्यू नहीं कराते थे या फिर ऐसी पॉलिसी खरीदते थे, जो सभी तरह के रिस्क को कवर नहीं करती थी।

आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस के अंडरराइटिंग हेड संजय दत्ता ने बताया, ‘कोर्ट की इस पहल से इस सेक्टर का दायरा बढ़ेगा और अब पहले से ज्यादा गाड़ियों का इंश्योरेंस कवर होगा।’ उन्होंने कहा, ‘अब इंश्योरेंस बनाम बिना इंश्योरेंस का मामला हल हो जाएगा। थर्ड-पार्टी वीइकल्स पर इंश्योरेंस कवर की मात्रा अब पहले से ज्यादा बड़ी और बेहतर होगी।’ भारत सरकार ने ‘रोड ऐक्सिडेंट्स इन इंडिया 2015’ नाम से जारी रिपोर्ट में बताया था कि देश में रोजाना 1,374 ऐक्सिडेंट्स होते हैं, जिनमें 400 लोगों की जान चली जाती है।

इंश्योरेंस क्लेम पर किसी तरह की कानूनी समयसीमा नहीं है। थर्ड पार्टी क्लेम से जुड़े केस को दुर्घटना होने वाली जगह, वाहन मालिक की रहनेवाली जगह या क्लेम करनेवाले के रहने की जगह, इनमें से किसी भी एरिया में फाइल किया जा सकता है। फॉल्ट लायबिलिटी क्लेम से जुड़े केस में बीमा की राशि असीमित है।

इसके अलावा, इंश्योरेंस रेग्युलेटर ने भी इंश्योरेंस कंपनियों को अपने खुद के अंडरराइटिंग प्रिंसिपल्स अप्लाई करने और 1 सितंबर से लॉन्ग-टर्म प्रॉडक्ट्स का डिस्ट्रीब्यूशन शुरू करने को कहा है। कंपनियां या तो ‘ओन-डैमेज’ और ‘थर्ड-पार्टी’ को कवर करनेवाला पैकेज या फिर लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी और एक साल के लिए ओन डैमेज को कवर करनेवाला पैकेज आॅफर कर सकती हैं।