भारत और चीन रिश्ते मजबूत करने फिर आए आगे, हॉटलानइ के जरिए सुधारेंगे आपसी संबंध

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नई दिल्ली। भारत और चीन अपने 12 साल पुराने रक्षा समझौते को लेकर एक बार फिर बात करने आगे आए हैं। दोनों देश अपने रक्षा मंत्रालयों के बीच एक हॉटलाइन तैयार करने के लिए आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। माना जा रहा है कि इसमें डोकलाम मुद्दे को लेकर भी एक पक्ष सामने आएगा। आइये समझते हैं कि यह कार्रवाई दोनों देशों के संबंधों को किस तरह बेहतर कर सकती है और यह दोनों के मुद्दों पर किस तरह असर डालेगा।
India and China will come forward to strengthen relations, will improve with the help of Italian relations
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ नई दिल्ली में चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंग की मुलाकात के बाद में इस विषय पर चर्चा हुई और दोनों देशों ने इसे लेकर सहमति जताई है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने बताया कि बीते सप्ताह हुई इस बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग तक यह बात पहुंचाई गई है कि इसका क्रियान्वयन कैसे किया जाए। सामान्य भाषा में समझें तो इस हॉटलाइन को लागू करने के लिए दोनों देशों के सफल व्यापारिक संबंधों की तर्ज पर ही रक्षा संबंध भी स्थापित होंगे।

बता दें, पीएम मोदी और शी चिनफिंग की अप्रैल में वुआन में हुई अनौपचारिक मुलाकात में इस विषय पर चर्चा हुई थी। भारत-चीन संबंधों को लेकर उस समय हुई चर्चा में एक महत्वपूर्ण विषय रक्षा समझौते से जुड़ा भी था। दोनों देशों के बीच डोकलाम मुद्दे का निपटारा भी इस अजेंडे में शामिल है। चीन की ओर से भी इसे लेकर कहा गया है कि एशिया की दो ताकतें साथ आकर काम करें तो बेहतर संबंध स्थापित हो सकते हैं। डोकलाम मुद्दा हल होने के साथ ही एशिया की दो बड़ी ताकतों के एकसाथ आने से संयुक्त राष्ट्र में दोनों ही देशों का रुतबा बढ़ेगा।

भारत-पाक संबंधों पर पडेगा असर
भारत और चीन के बीच बेहतर बातचीत का असर पाकिस्तान और भारत संबंधों पर भी पड़ना भी तय है। चीन पहले ही पाकिस्तान के साथ सीपीईसी प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है। चीन ने बीते दिनों कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव को दूर करने के लिए अहम भूमिका निभाने को तैयार है। चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान के द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने संबंधी बयानों की सराहना भी की थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा है कि क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार और विकास जरूरी है।

डोकलाम पर निकल सकता है हल
भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच विश्वास आधारित संबंधों को तैयार करने और सीमा पर सुरक्षा बलों के बीच तनाव को लेकर द्विपक्षीय वातार्लाप बढ़ाने को लेकर इस समझौते पर बात होनी है। भूटान के पास डोकलाम में चीन की सेना की बढ़ती गतिविधि के चलते पहले भी दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हुई थी। अब इस पहल को डोकलाम मुद्दे के लिए भी सकारात्मक तौर पर देखा जा सकता है। फिलहाल सीमा पर डोकलाम ही सबसे ज्यादा विवादित क्षेत्र है, बाकी सीमा पर गश्त के दौरान भी परस्पर बातचीत से संबंध बेहतर होंगे।

2006 में हुआ था पिछला समझौता
माना जा रहा है, दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच परस्पर बातचीत बढ़ने से डोकलाम मुद्दे का भी हल निकल सकता है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के वू के मुताबिक भारत व चीन के रक्षा मंत्रालय इस एमओयू पर साइन करने पर विमर्श कर रहे हैं। वू ने कहा, ‘2006 में भारत और चीन ने डिफेंस एक्सचेंज और सहयोग से जुड़ा एमओयू साइन किया था। भारत की ओर से इससे जुड़ा एक और एमओयू साइन करने का रुख दिखा है और चीन भी इसे लेकर सकारात्मक है।’ अब दोनों की देशों से हुई पहल का एक पहलू रक्षा तकनीकों के बेहतर होने और साझाकरण की ओर भी अगला कदम भी हो सकता है।