मुनि तरूण सागर की बीमारी की खबर उनके गुरू से क्यों छुपाई

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नई दिल्ली। क्रांतिकारी जैन संत मुनि तरूण सागर जी महाराज की गंभीर बीमारी और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जानकारी उनके गुरू आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज से छुपाई गई। इस मुद्दे पर आचार्य पुष्पदंत सागर ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए दिल्ली जैन समाज को फटकार भी लगाई है। गुरू के आदेश पर ही मुनि तरूण सागर को अस्पताल से मंदिर लाया गया और उनकी संल्लेखना शुरू कराई गई।
Why the news of Muni Tarun Sagar’s illness was hidden from his master
दिग बर दीक्षा लेने के बाद कोई भी साधु किसी अस्पताल में उपचार नहीं करा सकता। बीमारी की अवस्था में शा ों के अनुसार ही उसका उपचार किया जाता है और यदि बीमारी असाध्य हो तो संल्लेखना पूर्वक साधु अपने प्राणों का त्याग कर देता है। मुनि तरूण सागर के मामले में दिल्ली जैन समाज ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई। उनके अस्वस्थ होने की जानकारी समाज को तत्काल उनके गुरू को देना चाहिए थी और गुरू के निर्देश के अनुसार उनका उपचार किया जाना था।

लेकिन उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। गुरुवार को मुनि तरुण सागर के अस्पताल के कुछ फोटो वाट्सऐप के माध्यम से चैन्नई में चातुर्मास कर रहे इनके गुरू के पास पहुंचे तो उन्होंने अपने शिष्य के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। आचार्यश्री ने तत्काल एक वीडियो जारी किया और इस बात पर अपनी नाराजगी जताई कि उनके शिष्य की बीमारी की जानकारी उन्हें क्यों नहीं दी गई। इस वीडियो के बाद दिल्ली में चातुर्मास कर रहे सभी जैन संत सक्रिय हुए और अस्पताल से तरुण सागरजी को वापस राधेपुरी जैन मंदिर लाया गया।

क्या है संल्लेखना
जैन संत की साधना में यदि शरीर साथ नहीं देता तो संल्लेखना पूर्वक शरीर का त्याग किया जाता है। यह विधि गुरु आज्ञा पर जैन संतों के सानिध्य में कराई जाती है। इसमें धीरे-धीरे आहार जल का त्याग कराया जाता है और संल्लेखना धारण करने वाले को मंत्रोच्चारण और संबोधन दिए जाते हैं ताकि वह होश पूर्वक और ईश्वर का ध्यान करते हुए शरीर को त्याग सके।

श्रावकों को दिए दर्शन
आज सुबह मुनि तरूण सागर महाराज के दर्शन करने और उनका हाल जानने दिल्ली में राधेपुरी जैन मंदिर के बाहर भक्तों का तांता लग गया। ऐसी स्थिति में मुनि तरूण सागर जी महाराज को सहारा देकर मंदिर की छत पर लाया गया जहां से उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए और हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया।