लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के प्रशासन से ऐसे गांवों की पहचान करने को कहा है जहां पिछले पांच सालों में मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) की वारदातें सामने आई हैं। साथ ही ऐसे लोग जो सोशल मीडिया पर घृणा फैलाते हैं उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए (दो समुदायों के बीच नफरत फैलाना) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
The verdict of the Yogi Government: The violence by the mob and those who spread hatred by social media will be strict action
गाइडलाइन्स के तहत प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के एसपी/एसएसपी से ऐसे लोगों की एक लिस्ट तैयार करने को कहा है जो संभावित तौर पर नफरत भरे भाषण दे सकते हैं या ऐसी फेक न्यूज फैला सकते हैं जिससे समाज में नफरत फैले। सभी जिलों से ऐसी जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक नोडल अफसर तैनात किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल में मॉब लिंचिंग की करीब 168 वारदातें सामने आई थीं।
गाइडलाइन्स के मुताबिक, ऐसे अफसरों पर भी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने अपने स्तर से ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास नहीं किया या घटना के बाद सख्त कदम नहीं उठाए। इसके अलावा सरकार मॉब लिंचिंग के शिकार व्यक्ति के परिवार की पूरी मदद करेगी और उन्हें जॉब या मुआवजा भी दिया जाएगा।