अदभुत कान्हा नाम तुम्हारे

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कान्हा अद्धभुत तुम्हारा रूप है अद्धभुत तुम्हारे नाम।
देवताओं के स्वामी हो तुम तभी तो आदिदेव कहलाते।।

जीवन और मृत्यु के जीता तूने,इसलिए अजया कहलाते।
सब मे सर्वप्रथम तुम ही प्रभु,तभी तो अनादिह कहलाते।।

तुम करुणा के सागर,सब पर दया दिखलाते।
इसी कारण दयानिधि तुम दयालु कहलाते।।

ज्ञान का भंडार तुम्ही हो तभी तो ज्ञानेश्वर कहलाते।
तुम्हारे नयनो से तुलना पाकर तो कमल खुद पर इतराते।।

प्रेम का प्रतीक तुम्ही तभी तो मदन गोपाल कहलाते।
मनमोहिनी सूरत तुम्हारी तभी तो मनमोहन कहलाते।।

पार्थसारथी बन कर तुमने लोगो को गीता का ज्ञान दिया।
मन विचलित अर्जुन को चतुर्भुज रूप का दर्शन दिया।।

तुम्हारे नाम लेने भर से लोगो के कष्ट दूर हो जाते।
ब्रह्मांड के स्वामी तुम हो,स्यामसुंदर तुम्ही कहलाते।।

नीरज त्यागी