भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले बीते कुछ महीनों के भीतर ही जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) ने सत्ता और विपक्ष का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। दोनों ही दल जयस को साधने में जुटे हैं, लेकिन अभी जयस ने किसी दल के साथ जाने का ऐलान नहीं किया है। जयस ने आगामी विधानसभा चुनाव मे 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
Who is giving air to Jay, the announcement to contest the assembly elections in 80 seats
जिस तरह से जयस अधिसूचित जिलों में तेजी से पैर पसार रहा है और प्रदेश कई जिलों मं रैलियां आदि निकाल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी जयस को हवा किसके द्वारा दी जा रही है दरअसल, जयस आदिवासी युवाओं का संगठन है। जयस के राष्ट्रीय संयोजक डॉ हीरालाल अलावा ने ऐलान किया है कि इस बार प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जयस अपना कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारेगा, लेकिन सभी सीटो पर प्रत्याशियों को सशर्त समर्थन देगा।
कौन उठा रहा है खर्च
जयस की रैलियों में हजारों की सं या में भीड़ रहती है। इस दौरान रैली में टेंट, कुर्सी समेत अन्य सामग्री पर हजारों रुपए खर्च होते हैं। जयस के पास रैली के पैसा कहां से आ रहा है। इसके पीछे की यह बात सामने आ रही है कि जयस से एक राजनीतिक दल विशेष को नुकसान हो सकता है। जिसका फायदा दूसरे राजनीतिक दल को मिल सकता है। खास बात यह है कि जयस के संविलियन को लेकर कोई भी दल विरोध नहीं कर रहा है। क्योंकि प्रदेश में आरक्षण की आग धधक सकती है।
यात्रा में उमड़ रही भीड़
जयस की ओर से इन दिनों आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी सं या में भीड़ उमड़ रही है। कई बात तो ऐसी स्थिति बनी है, जब राजनीतिक दलों के नेताओं की सभा से ज्यादा भीड़ जयस की रैली में पहुंचती है। आदिवासियों के जयस के साथ बड़्ी सं या में शामिल होने से राजनीतिक दलों की नींद उड़ी है। यही वजह है कि कोई भी दल जयस संगठन की बुराई नहीं कर रहा है।