नागपुर। देश में संभवत: पहली बार, पशु अधिकार और वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक बाघिन के लिए दया याचिका दायर की है। उन्होंने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पंढारवाड़ा में खतरनाक बाघिन (टी1) को जान से न मारने की गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि 1 जून 2016 से लेकर इस साल 28 अगस्त तक पंढारवाड़ा के रालेगांव तहसील में इस बाघिन ने करीब 13 ग्रामीणों का शिकार कर उन्हें अपना निवाला बनाया।
Probably for the first time in the country: Wildlife activists filed mercy petition for man-eater tigress in Supreme Court
यह सभी मौतें जंगली इलाकों में हुईं और ज्यादातर पीड़ित चरवाहे थे। वन विभाग के पास इस संबंध में कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि टी 1 ने 13 लोगों का शिकार किया है। बाघिन को मारने का तत्कालिक आदेश 4, 11 और 28 अगस्त को तीन ग्रामीणों की मौत के बाद लिया गया। इनको मारने के लिए हैदराबाद के शिकारी नवाब शफत अली खान और उनकी टीम को बुलाया गया है। ग्रामीणों की मौत के लिए बाघिन और उसके 8 महीने के दो शावक को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके अलावा एक बाघ (टी-2) भी वहीं रहता है।
बाघिन के लिए दया याचिका भोपाल के प्रयत्न एनजीओ के वन्यजीवों के कार्यकर्ता अजय दुबे और दिल्ली के सेव टाइगर कैंपेन के सिमरत संधू ने दायर की थी। यह दया याचिका बाघिन टी1 की ओर से की गई जिसे सीजेआई दीपक मिश्रा और जज मदन लोकुर और केएम जोसेफ के समक्ष पेश किया गया है। मामले में सुनवाई मंगलवार को होगी जहां दोनों याचिकाकतार्ओं के लिए वकील न्यायमूर्ति लोकुर के सामने अपना पक्ष रखेंगे।