मुंबई। इस साल 1 जनवरी को हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े तथ्यों की जांच के लिए बनाई गई 9 सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह हिंसा सुनियोजित थी, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस ने कुछ नहीं किया और मूकदर्शक बनी रही। यही नहीं, रिपोर्ट ने हिंसा को साजिश बताया है और कहा है कि हिंदूवादी नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े ने करीब 15 साल से ऐसा माहौल बना रखा है, जिनसे हिंसा की स्थिति पैदा हुई।
The shocking disclosure of the inquiry team in the Bhima-Koregaon case: said- organized violence
यह रिपोर्ट कोल्हापुर रेंज के आईजीपी को पैनल के अध्यक्ष पुणे के डेप्युटी मेयर डॉ. सिद्धार्थ धेंडे ने सौंपी थी। भीमा कोरेगांव कमिशन ने हाल ही में मुंबई में सुनवाई का पहला चरण पूरा किया है। अब फैक्ट-फाइंडिंग टीम के एक सदस्य को पुणे में बुलाया जाएगा। टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि एकबोटे ने धर्मवीर संभाजी महाराज स्मृति समति की स्थापना वधु बुद्रक और गोविंद गायकवाड़ से जुड़े इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने के लिए की थी। माहर जाति के गायकवाड़ ने शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज का अंतिम संस्कार किया था।
जातियों के बीच खाई खोदने की कोशिश
रिपोर्ट में कहा गया है- ‘संभाजी महाराज की समाधि के पास गोविंद गायकवाड़ के बारे में बताने वाले बोर्ड को हटाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केबी हेडगेवार का फोटो लगाया गया था, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। यह अगड़ी और निचली जातियों के बीच खाई बनाने के लिए उठाया गया कदम था। अगर पुलिस ने कोई कदम उठाया होता तो किसी अनहोनी को रोका जा सकता था।’ रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भीमा-कोरेगांव के पास सनासवाड़ी के लोगों को हिंसा के बारे में पहले से पता था। इलाके की दुकानें और होटेल बंद रखे गए थे।
दंगाई कहते रहे, ‘पुलिस हमारे साथ’
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि गांव में केरोसिन से भरे टैंकर लाए गए थे और लाठी-तलवारें पहले से रखी गई थीं। रिपोर्ट में पुलिस के मूकदर्शक बने रहने का दावा करते हुए एक डेप्युटी एसपी, एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक अन्य पुलिस अधिकारी का नाम लिया है। दावा किया गया है कि की बार हिंसा के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद भी पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि रिपोर्ट के मुताबिक दंगाई यह तक कहते रहे- ‘चिंता मत करो, पुलिस हमारे साथ है।’
भिड़े-एकबोटे ने बदली इतिहास की पटकथा
रिपोर्ट में कहा गया है कि सादी वर्दी में मौजूद पुलिस भगवा झंडों के साथ भीमा-कोरेगांव जाती भीड़ को रोकने की जगह उनके साथ चल रही थी। धेंडे ने दावा किया है कि इस बात का सबूत दे दिया गया है कि दंगे सुनियोजित थे और उनका एल्गार परिषद से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि पहले आरोप लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि इतिहास से पता चलता है कि भीमा कोरेगांव और आसपास के इलाकों में दलितों और मराठाओं के बीच दुश्मनी नहीं थी लेकिन भिड़े और एकबोटे ने इतिहास की पटकथा को बदलकर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया। समय के हिसाब से हिंदुत्ववादी ताकतों के संबंध को दिखाया है।