पुणे। साल 2016 में सरहद पार जाकर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो सर्जिकल स्ट्राइक की, उसकी गूंज आज तक उससे जुड़े किस्सों के बहाने सुनाई देती है। सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी एक दिलचस्प बात पुणे में सामने आई, जब उसमें योगदान के लिए पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुत्तों को शांत रखने के लिए तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया गया।
Indian Army used leprosy stool to prevent dogs during surgical strikes
पुणे के थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोहर जोशी ने निंबोरकर को सम्मानित किया। निंबोरकर ने इलाके की बायोडायवर्सिटी को बारीकी से पढ़ा था। उन्होंने बताया, ‘सेक्टर में रहते हुए हमने देखा कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं। खुद को हमले से बचाने के लिए कुत्ते रात को बस्ती में ही रहते हैं।’
गांव के बाहर छिड़काव
उन्होंने आगे बताया, ‘रणनीति बनाते वक्त हमको पता था कि रास्ते के गांवों से निकलते वक्त कुत्ते भौंकना शुरू कर सकते हैं और हमला कर सकते हैं। इससे निपटने के लिए हमारी टुकड़ियां तेंदुए का मल-मूत्र लेकर गईं। उसे गांव के बाहर छिड़क दिया जाता था। यह काम कर गया, क्योंकि कुत्ते उन्हें छोड़ देते थे।’
सैनिकों को भी नहीं बताया
उन्होंने बताया कि सेना ने यह सीक्रसी बनाए रखी। उन्होंने बताया, ‘रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हमसे आॅपरेशन एक हफ्ते में करने के लिए कहा। मैंने अपनी टुकड़ियों से एक हफ्ते पहले चर्चा कर ली थी लेकिन जगह के बारे में नहीं बताया। उन्हें हमले से एक दिन पहले पता चला।’ उन्होंने बताया कि सुबह के वक्त को चुना गया। आतंकियों के लॉन्च पैड्स को चिह्नित कर लिया गया था।
पाक सरकार को कड़ा संदेश
उनके समय का भी अध्ययन किया गया था और यह पता था कि तड़के 3:30 सही समय है। उससे पहले सेना की टुकड़ी सुरक्षित जगह पर पहुंची। मुश्किल जमीन और माइन फील्ड को पार कर लिया गया। तीन पैड्स और 29 आतंकियों को मार दिया गया। उन्होंने बताया कि सेना ने आॅपरेशन का विडियो भी बनाया। पैराट्रूपर्स और सैनिकों ने हमले को अंजाम दिया।