केरल नन रेप केस: पीड़िता ने वेटिकन को बताया दर्द, न्याय की लड़ाई में यूं डटा है परिवार

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नई दिल्ली/कोट्टयम। जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप का केस करनेवाली नन ने इसके लिए लंबा संघर्ष किया और उनके संघर्ष की गूंज वेटिकन सिटी तक पहुंची। पोप फ्रांसिस ने चर्च में होनेवाले यौन उत्पीड़न से आहत होकर अगले साल फरवरी में सभी बिशप अध्यक्षों को सम्मेलन के लिए बुलाया है।
Kerala Nun Rape Case: The victim told the Vatican, pain, justice is the family in the fight
ऐसा लगता है कि संघर्ष और सच के लिए लड़ने की यह ताकत पीड़ित नन को पैरामिलिट्री में काम करनेवाले अपने पिता से मिली। उनका कहना है कि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि यह लड़ाई बहुत मुश्किल होनेवाली है। हालांकि, न्याय के लिए संघर्ष में उन्हें अपनी बहन, जो खुद भी नन हैं और परिवार का पूरा साथ मिला।

पीड़ित नन के एक रिश्तेदार ने टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया, ‘यह उसके बचपन का सपना था और उसने बिना किसी दबाव के नन बनने का विकल्प चुना। इसी सपने को पूरा करने के लिए 1993 में वह पंजाब गईं और 1994 में धार्मिक सभा मिशनरीज आॅफ जीसस जॉइन किया। 1999 में उन्हें जालंधर में नियुक्ति मिली।’

पांच बार हुई मैराथन पूछताछ
कुराविलांगद के एमजे मिशन होम की 43 साल की पीड़ित नन शिकायत करने के बाद से काफी डरी हुई हैं और उन्होंने मिशन के एक कमरे तक खुद को सीमित कर लिया है। पीड़िता की बहन ने बताया, ‘शिकायत दर्ज कराए हुए 75 दिन से अधिक हो गए हैं। अब तक उससे पांच बार मैराथन स्तर की पूछताछ हो चुकी है। इस वक्त वह बहुत तनाव में है और बाहर निकलने व लोगों से मिलने से भी डर रही है।’

समर्थन करने वाली ननों की सुरक्षा की चिंता
आपको बता दें कि पीड़ित नन के समर्थन में कोच्चि में 5 और नन ने भी मार्च निकाला है। पीड़ित नन की बहन ने बताया, ‘इस समर्थन के बाद उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है। मेरी बहन समर्थन करनेवाली ननों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है। इन दिनों वह शाम को कॉन्वेंट में आ रही है और बगीचे में पौधों को पानी देने और देखभाल का काम कर रही है।’

खौफ इतना कि शाम से पहले कमरे में आ जाती हैं नन
प्रभावशाली बिशप के खिलाफ यह लड़ाई कितनी मुश्किल होगी, इसका अंदाजा समर्थन करनेवाली सभी नन को है। पीड़िता की बहन ने बताया, ‘शाम होने से पहले सभी नन वापस कमरे में लौट जाती हैं क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा का डर है। हमें इस बात की भी चिंता है कि कहीं हर महीने 500 रुपए मिलनेवाली सहायता राशि भी बंद न कर दी जाए। हमें कुछ और लोगों ने मदद की पेशकश की है, लेकिन हमने उसे फिलहाल स्वीकार नहीं किया है।’