सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया निर्देश: कहा- 12 हफ्ते के अंदर मोटर व्हीकल्स एक्ट में करें आवश्यक बदलाव

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नई दिल्ली। किसी गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं हो रखा हो और अगर उससे हादसा हो जाता है तो उस गाड़ी को बेचकर पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इसके लिए 12 हफ्ते के अंदर मोटर वीइकल्स ऐक्ट के नियमों में आवश्यक बदलाव करें।
Instructions given by the Supreme Court to the states: – Make the necessary changes in the Motor Vehicles Act within 12 weeks
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस डी़ वाई़ चंद्रचूड़ की बेंच ने यह आदेश ऊषा देवी की याचिका पर दिया। उनके पति की 21 जनवरी 2015 को पंजाब के बरनाला में कार की चपेट में आकर मौत हो गई थी और 7 साल का बेटा घायल हो गया था। याचिकाकर्ता की वकील राधिका गौतम ने बताया कि ट्राइब्युनल में केस करके मुआवजे की मांग की गई।

सुनवाई में पता चला कि डंपर का बीमा नहीं कराया गया था, उसका मालिक भी मुआवजा देने की हैसियत में नहीं था। इसके बाद पंजाब सरकार को प्रतिवादी बनाने के लिए अर्जी दी गई। दलील दी गई कि गाड़ियों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है, ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वाहन का बीमा कराएं लेकिन हाई कोर्ट ने भी अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया।

याची ने कहा कि दिल्ली में रूल-6 के तहत प्रावधान है कि अगर गाड़ी इंश्योर्ड नहीं है तो उसे बेचकर मुआवजा दिया जाता है। यह नियम देशभर में लागू किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पंजाब सरकार को इस केस में प्रतिवादी बनाने से तो इनकार कर दिया लेकिन बिना बीमा वाली गाड़ियों को बेचकर मुआवजा देने का नियम बनाने के लिए एमवी ऐक्ट में 12 हफ्ते के अंदर बदलाव करने का आदेश दिया है।

मुआवजा कम पड़ा तो मालिक से होगी वसूली
“गाड़ी का बीमा नहीं होगा तो मुआवजे की जिम्मेदारी गाड़ी मालिक की होगी। गाड़ी बेचने के बाद भी मुआवजा पूरा नहीं होता तो बाकी रकम की देनदारी गाड़ी मालिक पर बनी रहेगी। इस रकम की रिकवरी के लिए केस दाखिल किया जा सकेगा।”
-ऐडवोकेट राधिका गौतम