रुपयों की बड़ी खेप छिपाने माओवादियों ने अपनाया पारंपरिक तरीका, जंगलों में गड्ढा खोदकर छिपाते हैं पैसा

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नई दिल्ली। माओवादी रुपयों की बड़ी खेप छिपाने के लिए पारंपरिक तरीके ही अपना रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच में पता चला है कि माओवादी करंसी को ठूंस-ठूंस कर पॉलिथीन में भरते हैं और कई पॉलिथीन से उसे लपेट देते हैं। इसके बाद कैश को लोहे के बक्शे आदि में डालकर सुदूर जंगली इलाकों में गड्ढे खोदकर छिपा दिया जाता है।
The Maoists adopt a traditional way of hiding large sums of rupees, hiding the crater in the forests
6 महीने लंबी चली एनआईए जांच में हिंसक लेफ्ट विंग इक्स्ट्रीमिज्म द्वारा प्रभावित 90 जिलों में माओवादी फंडिग आॅपरेशंस के बारे में कई अहम सुराग मिले हैं। एजेंसी को यह भी पता चला है कि माओवादी रियल एस्टेट, बहुमूल्य धातु (सोना या चांदी) और बिजनस में निवेश करते हैं। टॉप लीडर्स के बच्चों की पढ़ाई पर भी काफी खर्च किया जाता है।

माना जा रहा है कि एनआईए जांच से माओवादी लीडर्स, उनके शुभचिंतकों, फंड मैनेजरों और उनसे संबद्ध कारोबारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जमीन तैयार हो गई है। आपको बता दें कि पिछले कई महीनों से एलडब्ल्यूई टेरर फंडिंग के 10 मामलों की जांच भी चल रही है और अबतक कई लोगों से पूछताछ भी हो चुकी है।

कई एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक माओवादियों को हर साल करीब 100 से 120 करोड़ रुपये की फंडिंग होती है। हालांकि एनआईए अब भी इसका सही-सही अनुमान लगाने की कोशिश कर रही है। फंडिंग की मोटी रकम को माओवादी कई तरीके से ठिकाने लगाते हैं।

पैसे छिपाने के तरीके
कुछ मामलों में पैसे को सॉर्स के पास ही छोड़ दिया जाता है और उसे तभी लिया जाता है जब जरूरत हो। जंगली इलाकों में पैसे को जमीने के नीचे छिपाया जाता है तो कुछ केस में फ्रंट-मेन के सुपुर्द कर दिया जाता है। एनआईए का कहना है कि माओवादी पैसे को गोल्ड बिस्किट में निवेश, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और रियल एस्टेट में खर्च कर रहे हैं।

रियल एस्टेट में निवेश
पैसे को ठिकाने लगाने की रणनीति स्पष्ट करते हुए एनआईए ने बताया है कि मनी को रियल एस्टेट एजेंट्स (जो पूर्व साथी या काडर का भरोसेमंद शख्स होता है) के हवाले कर दिया जाता है। इसके बाद यह एजेंट अपने तरीके से पैसे का निवेश करता है और जब माओवादियों की तरफ से डिमांड की जाती है वह पैसे को वापस कर देता है।