चीन को लेकर संसद समिति ने जताई चिंता, कहा- घुसपैठ को लेकर हमेशा सतर्क रहने की जरूरत

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नई दिल्ली। संसद की विदेश मामलों की समिति ने चीन की ओर से अकसर भारतीय सीमा में होने वाली घुसपैठ को लेकर चिंता जताई है। स्पेशल रीप्रजेंटेटिव मेकेनिज्म के तहत तय किए गए सिद्धांतों को चीन की ओर से न माने जाने पर समिति ने चिंता जाहिर की है। स्पेशल रीप्रजेंटेटिव मेकेनिज्म सीमा विवाद के हल के लिए है। पैनल ने कहा कि चीन की ओर से अकसर होने वाली घुसपैठ और उसके इस रवैये को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।
The Parliament Committee on China expressed concern about the need to remain vigilant about infiltration.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का रिकॉर्ड भरोसा नहीं जगाता है। कमिटी ने कहा कि भारत को चीन से यह उम्मीद भी करनी चाहिए कि वह सिद्धांतों की बातें ही न करे बल्कि उनका पालन भी करे। स्पेशल रिप्रजेंटेटिव मेकेनिज्म को 2003 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी चीन के दौरे के बाद स्थापित किया था। उसके बाद से अब तक चीन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच 20 राउंड वार्ता हो चुकी है। चीन के साथ सीमा विवादों के निपटारे के लिए इस मेकेनिज्म को महत्वपूर्ण माना जाता रहा है।

कमिटी मानती है कि यह तीन स्तरीय प्रक्रिया है और इसकी पहली स्टेज अप्रैल 2005 में ‘अग्रीमेंट आॅन द पॉलिटिकल पैरामीटर्स ऐंड गाइडिंग प्रिंसिपल्स आॅन द सेटलमेंट आॅफ द इंडिया-चाइना बाउंड्री क्वेश्चन’ पर साइन के साथ पूरी हो चुकी है। चीन के साथ तय हुए प्रिंसिपल्स में से एक यह था कि दोनों देशों की बसी हुई आबादी को डिस्टर्ब न किया जाए, लेकिन अरुणाचल प्रदेश पर अकसर चीन दावा करता रहता है।

इस इलाके में लाखों भारतीय नागरिक बसे हुए हैं। कमिटी का कहना है कि चीन इस सिद्धांत पर अमल नहीं कर रहा है। कमिटी ने कहा कि दिसंबर 2012 में हुई कॉमन अंडरस्टैंडिंग के पॉइंट नंबर 12 और 13 का चीन ने डोकलाम में गतिरोध के दौरान उल्लंघन किया। हालांकि पैनल ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि इसकी वजह चीन सीमा पर भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर होना है।