नई दिल्ली। इमरान खान के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत से 2015 से बंद पड़ी बातचीत की प्रक्रिया को फिर शुरू होने की शुरूआती उम्मीद जगी थी, लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है। करतारपुर बॉर्डर को खोलना दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है लेकिन ऐसा लग रहा है कि दोनों ही देश एक दूसरे से इसके लिए सबसे पहले औपचारिक कदम उठाने का इंतजार कर रहे हैं। करतारपुर गलियारे का खोला जाना भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने का मौका मिलेगा।
India-Pak can resume talks, opening Kartarpur border can be important for both the countries
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहले यह कहा था कि वह शांति के लिए उठाए गए भारत के एक कदम के जवाब में 2 कदम चलेंगे। भारत ने भी द्विपक्षीय संबंधों में बेहतरी की उम्मीद जताई थी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया को दिए एक हालिया इंटरव्यू में कहा था कि भारत को उम्मीद है कि संबंधों में सुधार के लिए पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करेगा।
इससे पहले इसी महीने पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ऐलान किया था कि उनका देश करतारपुर बॉर्डर को खोलने जा रहा है और भारतीय तीर्थयात्रियों को बिना वीजा दरबार साहिब जाने की इजाजत होगी। हालांकि अब लग रहा है कि उन्होंने यह बात निजी हैसियत से कही थी क्योंकि यहां के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक चौधरी को अब भी पाकिस्तानी सरकार से इस बारे में प्रतिक्रिया का इंतजार है।
वैसे इस्लामाबाद कह रहा है कि करतारपुर बॉर्डर खोलने की उसकी पेशकश पर भारत ने प्रतिक्रिया ही नहीं दी है।
सूत्रों ने बताया कि भारत कुछ समय से बॉर्डर खोलने को लेकर पाकिस्तान से अनुरोध कर रहा है। बॉर्डर को खोलने के लिए पाकिस्तान अगर औपचारिक कदम उठाता है तो भारत के लिए यह अहम होगा क्योंकि इससे संकेत मिलेंगे कि संबंधों में सुधार के लिए नई पाकिस्तान सरकार वाकई गंभीर है।
घटनाक्रम से वाकिफ एक सूत्र ने बताया, ‘हम सिर्फ मीडिया में दिए गए बयान के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकते। हम ऐसे किसी पेशकश पर जवाब नहीं दे सकते जो वास्तव में हमसे की ही नहीं गई है।’ इस महीने के आखिर में भारत और पाकिस्तान दोनों के विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने जाएंगे। वैसे इस बात की कोई संभावना नजर नहीं आती कि यूएनजीए से इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात होगी।
दरअसल करतारपुर बॉर्डर मसले पर दोनों ही देशों की समस्या एक है। दोनों ही पक्ष किसी बैठक के लिए एक दूसरे से सबसे पहले पहल का इंतजार कर रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि बातचीत की प्रक्रिया को फिर शुरू करने के लिए पाकिस्तान को भारत से प्रतिक्रिया का इंतजार है