बच्चों पर मोबाइल के दुष्प्रभाव और उनके समाधान

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मोबाइल फोन जिसने हमारे जीवन को सबसे अधिक आसान बनाने का काम किया है वहीँ हमारी जीवन मैं बहुत सी जटिलताएं भी पैदा करदी हैं सबसे ज्यादा मोबाइल का दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ता है यह सिर्फ एक दूसरे से संपर्क मैं रहने का ही साधन नहीं यह हमारे लिए टाइपराइटर , स्कैनर , कैमरा , टोर्च, कैलेंडर, घडी आदि सबकुछ है इतनी काम की चीज सबसे ज्यादा खतरनाक तब बन जाती है जब की वह एक बच्चे के हाथ मैं हों जो इसके फायदों से तोह वाकिफ हो पर इसके खतरों से बेखबर हो !
Mobile side effects and their solutions on children
आजकल देखा जाता है की 10-11 महीने की उम्र से ही बच्चा खिलौने की तरफ आकर्षित ना होकर मोबाइल की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है उसकी रंगबिरंगी रौशनी उसकी आवाज की तरफ उससे छूने की लिए दौड़ता है अगर हम कहें की मोबाइल ने खिलोनो की जगह भी ले ली है तोह यह गलत नहीं होगा ! हम देखते हैं की हमारे समाज मैं यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को कुत्ता कहे या किसी और जानवर का नाम ले तो उससे गाली समझा जाता है पर आजकल लोग स्नैपचैट पर बड़ी खुशी से अपने चेहरों की जानवरों के चेहरों मैं ढाल कर खुश होते हैं ! बच्चे अपने होटों को बाहर निकालकर पाउट बनाकर सेल्फी लेते हैं

बड़ों की नकल करते हैं जिससे बच्चों का भोलाप और मासूमियत चली जाती है अपनी हर गतिविधि को जो जीवन मैं उस समय चल रही हो घर हो या बाहर फोटो खेंचकर सोशल मीडिया पर डालते हैं जिससे कई खतरों को निमंत्रण चला जाता है मोबाइल ने बच्चों की अपनी उम्र से पहले ही व्यस्क बना दिया है जो की सबसे खतरनाक दुष्प्रभाव है इंटरनेट पर उपलब्ध वयस्क सामग्री और पोर्न तक उपलब्ध है जिसका इतनी आसानी से उपलब्ध होना बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए घातक है मोबाइल ने बच्चों को बहुत ही सुस्त बना दिया और उनमें एकाग्रता की कमी करदी है

आजकल बच्चे बाहर खेलने जाने की बजाये मोबाइल मैं हि गेम्स खेलना ज्यादा पसंद करते हैं जिससे वह कई रोगों का शिकार हो रहे हैं जैसे आँखों का कमजोर होना पेट की बीमारियां मोटापा और ध्यान केंद्रित ना होना हैं मोबाइल पर खेले जाने वाले कई गेम्स बच्चों को डिप्रेशन मैं भी ले के जाते हैं और कई केसेस मैं जान के लिए खतरा भी बने है उदाहरण की तौर पर ब्लू व्हले गेम ने जाने कितने मासूमों की जाने ले ली !

बच्चों को नहीं मालुम के उनके लिए क्या सही है और क्या गलत यह अभिभावकों और शिक्षकों का कर्तव्ये हैं की बच्चों का सही मार्गदर्शन करें यहाँ कुछ समाधान दिए गए हैं जिनसे हम बच्चों पर पढ़ रहे मोबाइल के दुष्प्रभावों को रोक सकते हैं!

सबसे पहले यह जरूरी है की माता पिता और घर के बड़े लोग भी मोबाइल का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर हि करें अपने खाली समय को वह बच्चों को दें उनको घूमने लेकर जाएँ उन के साथ खेलें उनको सही और गलत सिखाएं!

बच्चों के जिद करने पर या रोने पर उन्हें बहलाने के लिए उनको मोबाइल दे दिया जाता है जिससे वह और जिद्दी हो जातें हैं बच्चों क बहलाने के लिए हमें कभी भी मोबाइल नहीं देना चाहिए बल्कि उन्हें दूसरे तरीके से बहलाना चाहिए!

आजकल बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए भी मोबाइल का बोहोत इस्तिमाल करते है जैसे असाइनमेंट्स बनाना या किसी भी टॉपिक पे लिखना या बोलना इसने किताबों की उपयोगिताओं को खतम कर दिया है किताबें पढ़ने पर बच्चे ज्यादा ज्ञान अर्जित कर पाते हैं तो बच्चों को लाइब्रेरी जाने के लिए उत्साहित किया जाना चाहिए.

बच्चों के स्वस्थ पर मोबाइल के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं विश्व स्वस्थ संघटन और वैज्ञानिकों ने आगाह किया है की मोबाइल के उपयोग से कैंसर का खतरा भी उत्पन्न हो सकता हैं इसलिए अपने मोबाइल सेट पर *#07# डायल कर रेडिएशन की खुद भी जांच करते रहिये और बच्चों के पास सोते समय कभी भी मोबाइल ना रखें !

मोबाइल फोन बच्चों के मानसिक शारीरिक विकास , व्यवहार , और सीखने की श्रमता को भी प्रभावित करता है इसलिए बच्चों को मोबाइल के उपयोग से ज्यादा से ज्यादा बचाइए!

तसनीम खान
फाउंडर प्रिंसिपल, डेफोडिल हायर सेकेंडरी स्कूल, भोपाल