पैराशूट के अपने मजे हैं

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दिमाग की बात
सुधीर निगम

राहुल बाबा ये क्या कह गए, पैराशूट से टपकने वालों को टिकट नहीं मिलेगा। क्यों भाई वो आदमी नहीं हैं क्या, सॉरी सॉरी नेता नहीं हैं क्या। मिलेगा जरूर मिलेगा, देख लेना। पैराशूट नहीं होगा तो हवाई जहाज में सफर करने वाले धरती पर कैसे उतरेंगे। भले ही इसके लिए उन्हें किसी विमान को दुर्घटनाग्रस्त करवाना पड़े। हकीकत भी है खुद को सुरक्षित रखने के लिए विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो होए, हमें क्या फर्क पड़ता है। उसकी सवारी की जिम्मेदारी हमारी थोड़े ही है। यही करना होता तो कोई अच्छा काम नहीं करते, राजनीति में क्यों आते।

सभी उपकरणो के अपने फायदे हैं, वैसे ही पैराशूट के भी हैं। पैराशूट वालों से बड़ा भविष्यवक्ता कोई नहीं होता। आप उदाहरण उठा कर देख लीजिए, ये आने वाले समय को पहले ही भांप लेते हैं और ठीक समय पर अपना पैराशूट खोलकर खुद को सुरक्षित ठिकाने में उतार लेते हैं। जो आने वाले समय की इतनी सटीक जानकारी रखते हैं, उन्हें टिकट नहीं देने की घोषणा, बात कुछ जमी नहीं।

खैर सबके अपने अपने फंडे हैं। आजकल तो उनकी ही पूछ होती है जो आसमान में उड़ते हैं, किसी को देखा है जमीन पर चलने वालों की चिंता करते हुए। और जो आसमान में उड़ेंगे उन्हीं के पास पैराशूट होगा, सायकिल चलाने वाले के पास नहीं। तो जब पैराशूट ही नहीं है तो सुरक्षित जमीन की उम्मीद क्यों पाले बैठे हो पदचर।

पैराशूट से सफल लैंडिंग करने वालों का गरिमामय इतिहास रहा है। किसी एक का नाम लिया तो दूसरा उसके योगदान का जिक्र नहीं करने पर नाराज हो जाएगा। हमारे यहां आया राम, गया राम की गौरवशाली परम्परा रही है। उसे कैसे छोड़ दें। आप भी बात करते हैं। हम सब कुछ छोड़ सकते हैं, लेकिन परम्परा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी। यदि उससे छेड़छाड़ की तो खून की नदियां बहा देंगे।

तो हे पैराशूटधारियों तुम चिंता मत करो, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या बोल गए हैं। आप तो अपने पैराशूट झाड़ पोंछ कर साफ कर लो, सही समय आ गया है। सब कुछ सही रहने के बाद भी विमान दुर्घटनाग्रस्त न हो तो भी चिंता मत करना, 6-8 महीने बाद फिर एक विमान आने वाला है तब मौका देखकर पैराशूट का इस्तेमाल कर लेना।

सभी पैराशूटधारियों को मेरी अग्रिम शुभकामनाएं।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है