श्रीनगर। एक तरफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी आर्मी की मदद से करीब 230 आतंकी भारत में घुसपैठ की फिराक में हैं। इंटेलिजेंस के एक सूत्र के मुताबिक, एलओसी (नियंत्रण रेखा) के पास पाकिस्तान ने करीब 27 कैम्प (लॉन्च पैड) बना रखे हैं, जहां से आतंकी भारत में घुस सकते हैं।
250 militants put on LoC to infiltrate into India, Dera, destroyed camps were re-established by Pak army
इनमें से आठ कैम्प तो पिछले एक महीने के दौरान स्थापित किए गए। पाकिस्तान में इमरान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से करीब 250 आतंकियों ने इन कैम्पों में डेरा डाल रखा है। गौरतलब है कि हाल में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात न्यू यॉर्क में प्रस्तावित थी, जिसे भारत ने एलओसी पर भारतीय जवानों की हत्या के विरोध में रद्द कर दिया था।
इंटेलिजेंस के सीनियर अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने लिपा स्थित कैम्प को फिर से बसा लिया है, जिसे भारतीय सेना ने दो साल पहले सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक कर तबाह कर दिया था। हालांकि, सर्जिकल स्ट्राइक में तबाह भिंबर गली स्थित कैम्प को दोबारा बसाया नहीं जा सका है।
पिछले एक महीने के दौरान पीओके (पाक कब्जे वाला कश्मीर) क्षेत्र में जो नए कैम्प स्थापित किए गए हैं, उनमें लिपा, चकोठी, बरारकोट, शार्डी, जूरा स्थित कैम्पों को लश्कर-ए-तैयबा चला रहा है। वहीं, तीन कैम्प हिजबुल मुजाहिदीन के हैं। इसके अलावा पीओके में चनानिया, मंदौकली और नौकोट में भी लश्कर कैम्प चला रहा है, जहां 25-30 घुसपैठिए डेरा डाले हुए हैं। ये कैम्प भारत के उड़ी और कुपवाड़ा के बीचोबीच नौगाम सेक्टर के ठीक दूसरी तरफ हैं।
जम्मू-कश्मीर पंचायत चुनाव हैं निशाना
इंटेलिजेंस सूत्रों का कहना है कि इंटरनैशनल बॉर्डर पर घुसपैठियों में जो हालिया सक्रियता देखी जा रही है, उसका मकसद जम्मू-कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनावों को प्रभावित करना है। साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाना भी है। अधिकारियों के मुताबिक, घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षा बल आॅपरेशन आॅल आउट पर विचार कर रहे हैं। इसमें घुसपैठियों के विरुद्ध बॉर्डर को पुख्ता करना भी शामिल है।
बुरहान एनकाउंटर के बाद घुसपैठ की कोशिशें बढ़ीं
इंटेलिजेंस के अधिकारी ने बताया कि जिन जगहों पर ये कैम्प चल रहे हैं, उसका भौगोलिक महत्व भी है। ये आतंकी दक्षिणी कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश में हैं। हंदवाड़ा और हफरूड़ा के जंगलों से इनको घुसपैठ में मदद मिलती है। जुलाई 2016 में कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से घाटी में हिंसा भड़क गई थी। पिछले एक साल में पत्थरबाजी की घटनाओं में भी खासा इजाफा हुआ। इस दौरान घाटी में सुरक्षा बलों को अगवा कर हत्या करने के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में आतंकियों की घुसपैठ से खतरा कई गुना बढ़ जाता है।