विश्वास सारंग के खिलाफ सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला हो सकता दर्ज

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TIO भोपाल

पूर्व मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला दर्ज हो सकता है। लघु वनोपज संघ में अध्यक्ष पद पर रहते हुए सारंग ने कितनी राशि किस मद पर खर्च की थी। सहकारिता विभाग इसके दस्तावेज खंगालने में जुटा हुआ है। रिटायर्ड आइएफएस आजाद सिंह डबास की शिकायत पर की गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि पूर्व मंत्री सारंग और महेश कोरी ने अध्यक्षीय कोटे से अन्य खर्चों पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।

जबकि संघ के प्रावधानों के अनुसार अध्यक्ष का कोई कोटा नहीं होता है। एेसे में अध्यक्षीय कोटे के नाम पर खर्च की गई राशि वित्तीय अनियमिता के दायरे में आएगी।

लघु वनोपज संघ से मिली जानकारी में वित्तीय अनियमितता सामने आई हैं, इसके चलते अब सहकारिता विभाग इस पूरे मामले में ऑडिटर से जांच करवा रहा है।

सहकारिता विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लघु वनोपज संघ में पदस्थ रहे अध्यक्षों ने आदिवासियों के पैसे से अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों में खर्च किया। जबकि यह राशि आदिवासी ग्रामीणों की मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने और आदिवासियों के विकास कार्यों में खर्च किए जाने का प्रावधान है।

मनमाने तरीके से कर लिया बदलाव
संघ के दस्तावेजों की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि लघु वनोपज संघ ने अध्यक्ष को उपकृत करने के लिए मनमाने तरीके से संचालक मंडल की बैठक में अध्यक्षीय कोटे का प्रावधान कर लिया। संघ ने इसकी जानकारी सहकारी विभाग को भी नहीं दी।

सूत्रों का कहना है कि लघु वनोपज संघ के एक्ट में बदलाव के बाद ही अध्यक्षीय कोटे का प्रावधान हो सकता है, लेकिन संघ ने एेसा नहीं किया। आदिवासियों का पैसा दूसरे काम में खर्च करने के मामले में तत्कालीन अध्यक्ष सहित उस समय संघ में पदस्थ रहे संघ के एमडी पर भी कार्यवाही होना तय माना जा रहा है।

अध्यक्ष के लिए इस तरह बनाया कोटा
संघ को तेन्दू पत्ता सहित अन्य वन उपज से सालाना औसतन आय ७०० करोड़ रुपए होती है। इसमें से ७० फीसदी यानि ४९० करोड़ रुपए वन उपज संग्राहकों में बांटे जाते हैं। इसके बाद १५ फीसदी यानि १०५ करोड़ वनों के विकास और संरक्षण और शेष १०५ करोड़ से आदिवासी और जंगलों में रहने वाले वनवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है। तत्कालीन संंघ के एमडी सहित पदाधिकारियों ने संचालक मंडल में प्रस्ताव पास कर आदिवासी और वनवासियों के १०५ करोड़ में से २५ फीसदी राशि जो कि लगभग २६ करोड़ २५ लाख रुपए होती है अध्यक्ष कोटे के लिए मंजूर करवा ली।

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सारंग ने अन्य मदों में खर्च किए एक करोडज़ांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि पूर्व मंत्री सारंग ने संघ में अध्यक्ष रहते हुए एक करोड़ रुपए से अधिक राशि अन्य मदों में खर्च की है। संघ के अधिकारी भी सहकारिता विभाग को नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर अन्य मद का मतलब क्या है और ये राशि किस पर खर्च की गई है। —————-

कोई कोटा नहीं होता
सिस्टम परिवर्तन संस्था के अध्यक्ष आजाद सिंह डबास ने कहना है कि संघ में अध्यक्षीय कोटे का कोई वैध प्रावधान नहीं है। आदिवासियों के पैसे को शहरी क्षेत्रों में खर्च किया गया है। सबसे ज्यादा पैसे का दुरूपयोग तत्कालीन अध्यक्ष विश्वास सारंग के समय और महेश कोरी के समय किया गया है। सहकारिता विभाग से अध्यक्षीय कोटे से खर्च की गई राशि के दुरूपयोग की जांच तथा अध्यक्षों द्वारा कराए गए कार्यों गड़बडि़यों की शिकायत की है। डबास ने बताया कि कई भुगतान ठेकेदारों को बिना काम के ही कर दिए गए हैं।अध्यक्षीय कोटे पर रोक लगाने के लिए भी कहा है।

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सारंग का मामला खुलने से मंत्री सिंघार का मामला भी अटकापूर्व मंत्री सारंग और कोरी का मामला खुलने के बाद वन मंत्री उमंग सिंघार के अध्यक्षीय कोटे से मंजूर हुई राशि भी अटक गई है। सिंघार ने संघ अध्यक्ष के कोटे से अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए मंजूर कराए थे, ये राशि जारी हो पाती कि इससे पहले पूर्व में संघ के अध्यक्ष रहे सारंग और कोरी की फाइलें खुल गईं। इसके बाद सहकारिता विभाग ने मंत्री सिंघार के क्षेत्र के लिए मंजूर हुई राशि पर रोक लगा दी है।

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सहकारिता विभाग ने अध्यक्षीय कोटे से खर्च की गई राशि की जानकारी मांग थी। यह जानकारी उसे भेज दी गई है। इससे ज्यादा मैं आपको कुछ नहीं बता सकता।

एसके मंडल, एमडी, मप्र लघु वनोजप संघ

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संघ में गलत तरीके से अध्यक्ष का कोटा बनाकर करोड़ों रुपए के दुरुपयोग करने की शिकायत मिली थी। इस मामले में ऑडिटर से जांच कराई जा रही है। ये बात सही है कि संघ के एक्ट में अध्यक्षीय कोटे का कोई प्रावधान नहीं है। जांच होने तक अध्यक्ष कोटे के नाम पर जारी होने वाली राशि को खर्च करने पर रोक लगाई है।

एमके अग्रवाल, कमिश्नर सकहारिता विभाग