भाजपा नेताओं का आरोप:- हमारी सुन नहीं रहे और कांग्रेस नेताओं के सामने घुटने टेक रहे प्रदेश के अफसर
योगीराज योगेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लापरवाह और भ्रष्ट अफसरों को जेल में डाल दूंगा और उल्टा टांग दूंगा जैसी चेतावनियां देने के बावजूद प्रदेश के अफसरों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। वे अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की कई घोषणाओं पर न तो अमल हो रहा न पार्टी नेताओं की पूछ परख। प्रशासनिक कार्यप्रणाली का आलम यह है कि मुख्य सचिव अक्सर मौन ही रहते हैं, वे कुछ बोलते नहीं और कलेक्टर सुनते नहीं हैं। मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं और चेतावनियों को अनसुना करने वाले अफसर कांग्रेस नेताओं के आगे शरणागत नजर आ रहे हैं। राज्य के अफसरों का कांग्रेस नेताओं के प्रति झुकाव यह बता रहा है कि मध्य प्रदेश में भाजपा विदाई की ओर अग्रसर है। ताजा मामला सागर का है जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के आगे कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी समेत जिला प्रशासन का पूरा अमला नतमस्तक नजर आया।
दरअसल सागर के सुरखी विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा गांव में प्रशासन द्वारा वन भूमि पर काबिज दलित परिवारों के 10 मकान तोड़े जाने को लेकर दिग्विजय सिंह घटनास्थल पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ जमीन पर ही बैठ गए। उन्होंने कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी और प्रशासनिक अमले को वहीं बुलाया और अपने सामने जमीन पर ही बैठा लिया। इसके बाद उन्होंने डपटते हुए कलेक्टर से पूछा कि किसके कहने पर यह मकान तोड़े गए हैं? आप पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता मुहैया कराइए। कलेक्टर ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर पहले ही पीड़ित परिवारों की मदद की जा रही है। जल्दी ही इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस पर दिग्विजय ने कहा कि आप मुझे यह बात अपने लेटर हेड पर लिखकर दीजिए। कलेक्टर ने मना किया तो दिग्विजय बोले आप चाहें तो कमिश्नर साहब से बात कर लीजिए। मैं यहां से जाने वाला नहीं और यहीं बैठूंगा। कलेक्टर बोले कि मैं लेटर हेड पर लिखकर नहीं दे सकता तो दिग्विजय बोले कि आप सादे कागज पर लिखकर दे दीजिए। दिग्विजय के आगे असहाय से नजर आ रहे कलेक्टर दीपक आर्य को आखिर पीड़ितों की मांग पूरी करने का आश्वासन लिखकर देना ही पड़ा। इसके बाद ही दिग्विजय सिंह वहां से उठे।
कलेक्टर की इस कार्यप्रणाली को लेकर भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि दिग्विजय के आगे सरेंडर करने वाले अफसरों को तत्काल हटाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। नेताओं का कहना था कि प्रदेश के बेलगाम अफसर भाजपा नेताओं की तो सुनते नहीं और विपक्षी नेताओं के सामने घुटने टेकते नजर आते हैं।
आर्य पर भ्रष्टाचार के आरोप, खुद ने ही जांच कर क्लीनचिट ले ली :
प्रशासनिक क्षेत्र का यह भी एक दिलचस्प मामला है कि अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कलेक्टर दीपक आर्य ने खुद कर ली और खुद ने ही अपने आपको क्लीनचिट दे दी। बालाघाट कलेक्टर रहते हुए उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
दरअसल पूर्व विधायक किशोर समरीते ने श्री आर्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य सरकार से जांच करने को कहा तो राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा बालाघाट कलेक्टर को ही सौंप दिया।
हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाई तब गठित हुई जांच कमेटी:
पूर्व विधायक किशोर समरीते ने तत्कालीन बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य पर कस्टम मिलिंग व चावल के अवैध कारोबारियों, कान्हा स्थित रिसोर्ट संचालकों और रेत ठेकेदारों से रिश्वत के रूप में खुद व परिजनों के नाम महंगे गिफ्ट लेने का आरोप लगाया था। इस संबंध में समरीते ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में आरोपों की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कमेटी गठित नहीं हुई तो उन्हें अवमानना याचिका लगाई। इस पर हाईकोर्ट ने 28 फरवरी 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग तथा राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद सरकार ने संभागायुक्त जबलपुर बी चंद्रशेखर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की। कमेटी ने समरीते के बयान भी ले लिए हैं।
दमोह कलेक्टर की कार्यप्रणाली को लेकर भी उठ रहे सवाल :
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल की कार्यप्रणाली को लेकर भी स्थानीय भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया है। दरअसल दमोह के गंगा-जमुनी स्कूल में छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करने का मामला हाल ही में चर्चा में आया था। जब जांच की गई तो पता चला कि स्कूल प्रेयर में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की जगह अल्लामा इकबाल की कविता ‘लबों पे आती है दुआ’ का गायन कराया जाता है और कुरान की आयतें भी पढ़ाई जाती हैं। इस मामले पर मुख्यमंत्री ने तुरंत ट्वीट करते हुए कहा कि दमोह के स्कूल में क्या हुआ? मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी हरकत नहीं चलेगी। ऐसे स्कूल बंद हो जाएंगे। साथ ही स्कूल का रजिस्ट्रेशन सरकार ने रद्द कर दिया।
उधर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने पूरे मामले को लेकर कलेक्टर की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बताया। उन्होंने कहा कि कलेक्टर स्कूल संचालक को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में डीईओ को हटा दिया गया है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। उधर, स्थानीय भाजपा नेताओं ने आरोप लगाए कि जिले में सब कुछ होता रहा और कलेक्टर को इसकी भनक तक नहीं लगी।
और अब चलते – चलते बात बड़े साहब की:
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मुख्य सचिव को बैठकों में आए दिन देखा जाता है, लेकिन उन्हें बोलते कम ही देखा गया है। अक्सर वे मौन ही रहते हैं और मुस्कुराने से तो शायद उनको नफरत सी हो गई है। निश्चिततौर पर यह उनकी अपनी कार्यशैली है, लेकिन मुख्यमंत्री के कान में उन्होंने न जाने कौन सा मंत्र फूंक दिया कि दो- दो बार एक्सटेंशन पा लिया। मध्यप्रदेश में किसी चीफ सेक्रेटरी को दो बार एक्सटेंशन मिलने का शायद यह पहला मामला है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)