कांग्रेस नेतृत्व के संकेत के बाद विपक्षी दलों में पीएम पद को लेकर मची होड़

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेतृत्व के इस इशारे के साथ ही कि वे किसी क्षेत्रीय दल के लीडर को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन कर सकती है, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों में पीएम पद की दावेदारी को लेकर होड़ लग गई है. पिछले ही शुक्रवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि विपक्ष को अब 2024 में ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मौका मिलेगा.
After the Congress leadership’s leadership, the competitive post of PM in the opposition parties
अब 2019 के चुनावों में पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए रणनीति बनाने में जुटे कांग्रेस नेतृत्व के संकेत से विपक्षी खेमें में खींचतान तेज हो गई है कि वह किसी भी क्षेत्रीय दल के नेता को विपक्ष की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे सकती है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने एनडीटीवी से कहा कि कांग्रेस दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी की पीएम के पद की दावेदारी का समर्थन कर सकती है.

ये तर्क उन्हें सुनने में अजीब लग रहा है क्योंकि ममता बंगाल में कांग्रेस को खत्म करने की जद्दोजहद कर रही हैं. तृणमूल ने जवाब में कहा कि विपक्ष की तरफ से पीएम पद का दावेदार कौन होगा ये लोकसभा के नतीजे आने के बाद ही तय होगा. फिलहाल पार्टी ने ममता की संभावित दावेदारी पर चुप्पी साध रखी है.

बातचीत में तृणमूल सांसद सुखेंदू शेखर राय ने कहा कि ममता बनर्जी पहले ही अपील कर चुकी हैं कि विपक्ष की एकजुटता को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि हर राज्य में सबसे प्रमुख विपक्षी दल के नेतृत्व में चुनावी रणनीति बनाई जाए और ममता पीएम पद की उम्मीदवार होंगी या नहीं इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.

एनसीपी ने इशारों में याद दिलाया कि देश में शरद पवार से बड़ा नेता कोई नहीं है. पार्टी के सांसद माजिद मेनन ने एनडीटीवी से कहा, “अगर आप इस सवाल को पीएम के पद से हटाकर पूछें तो मैं कहूंगा कि शरद पवार के कद का आज कोई नेता नहीं है.” जबकि आरजेडी ने कहा – 2019 के चुनावों में नेता से ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे. पार्टी ने कांग्रेस नेतृत्व के रुख का स्वागत किया और कहा कि ये बेहद ही संवेदनशील और संजीदगी से लिया गया फैसला है.

उधर बीजेपी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देवेगौड़ा, आईके गुजराल और चंदशेखर जैसे नेताओं को पीएम तो बनाया था लेकिन उन्हें टिकने नहीं दिया और उनकी सरकारें गिरा दीं. ऐसे में किसी गठबंधन को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस की विश्वसनीयता बहुत कमजोर है. बीजेपी नेता विनय सहस्रबुद्दे ने एनडीटीवी से कहा, “कांग्रेस किसी रीजनल लीडर को समर्थन देती है और नीचे से दरी खींच लेती है. कांग्रेस पर कोई विश्वास कैसे कर सकता है. कांग्रेस की विश्वसनीयता संदेहास्पद है.”