सुको की सख्ती के बाद सोशल मीडिया हब बनाने के फैसले से पीछे हटी सरकार

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नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर निगरानी के लिए सोशल मीडिया हब बनाने के फैसले से सरकार पीछे हट गई है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने इस मसले पर अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। 13 जुलाई को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह ‘निगरानी राज’ बनाने जैसा होगा। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार नागरिकों के वॉट्सऐप संदेशों को टैप करना चाहती है। बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया हब बनाने का निर्णय लिया था।
After the hardening of Sooka, the government behind the decision to create a social media hub
सुको की सख्ती पर पीछे हटी सरकार
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत को बताया कि वह सोशल मीडिया की निगरानी नहीं करेगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने सरकारी बयान के बाद इस मामले का निस्तारण कर दिया गया। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग मांगा था।

TMC विधायक ने दायर की थी याचिका
दरअसल तृणमूल कांग्रेस की विधायक मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा था कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्रवाई कर रहा है। इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डेटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी और यह निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है।

निजी जानकारी हासिल होने की थी आशंका
इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी। इसमें जिला स्तर तक सरकार डेटा को खंगाल सकेगी। गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया है।