बेंगलुरु/नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कर बड़ा दांव चला था। तब कहा भी जा रहा था कि अब तक बीजेपी के समर्थन कहे जाने वाले लिंगायतों का वोट यदि कांग्रेस की ओर शिफ्ट होता है तो वह दोबारा सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन अब तक जो नतीजे आए हैं, वह इन सभी भविष्यवाणियों को खारिज करते हैं। खासतौर पर लिंगायतों के प्रभाव वाले क्षेत्र में बीजेपी बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए 37 सीटों पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 18 और जेडीएस को 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है। 2 सीटें अन्य के खाते में जा सकती हैं।
All Congress claims spread: Lingayats vote even for BJP
एक दिलचस्प आंकड़ा यह है कि परंपरागत रूप से कांग्रेस के समर्थक कहे जाने वाले मुस्लिम समुदाय के प्रभाव वाले इलाकों में भी बीजेपी मारती दिख रही है। मुस्लिम बहुल 10 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 8 और जेडीएस 7 सीटों पर आगे है। किसी भी समुदाय की 15 फीसदी से अधिक आबादी वाले इलाके को बहुलता वाला क्षेत्र मानते हुए यह आंकड़े तैयार किए गए हैं।
वोक्कालिगा समुदाय का एचडी देवगौड़ा और उनकी पार्टी पर भरोसा बरकरार नजर आ रहा है। वोक्कालिगा समुदाय की बहुलता वाली 20 सीटों पर जेडीएस आगे है, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर बढ़त कायम कर रखी है। बीजेपी के खाते में यहां 7 सीटें जा रही हैं। इसके अलावा दलित आबादी के प्रभाव वाली 19 सीटों पर बीजेपी ने बढ़त कायम कर रखी है। यहां कांग्रेस को 16 और जेडीएस को 12 सीटें मिलती दिख रही हैं।
लिंगायत बहुल इलाकों में बीजेपी इस बार बड़ी बढ़त हासिल करती दिख रही है तो इसका सबसे बड़ा श्रेय उसके सीएम कैंडिडेट बीएस येदियुरप्पा को ही जाता है। 2013 के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं, तब वह बीजेपी से अलग होकर लड़े थे और ऐसे इलाकों में बीजेपी महज 5 सीटों पर ही सिमट गई थी। जबकि कांग्रेस को 47, जेडीएस को 11 और 7 सीटें अन्य के खाते में गई थीं।