भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है, लेकिन महीनों से गठबंधन के लिए राजनीतिक गोटियां फिट करने में लगी कांग्रेस सहित सपा, बसपा, गोंगपा एवं अन्य विपक्षी दल बिखर गए हैं। अभी तक किसी का चुनाव के लिए गठबंधन नहीं हुआ है। सपा, बसपा और गोंगपा अलग से चुनाव लडने का ऐलान कर चुके हैं। जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, वहीं भाजपा अपनी रणनीति में कामयाब होती दिख रही है।
All efforts of coalition alliance failed, successful in BJP strategy
विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख विपक्षी दल खासकर कांग्रेस ने सपा, बसपा एवं अन्य के साथ गठबंधन के प्रयास कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही शुरू कर दिए थे। बहुजन समाज पार्टी द्वारा पिछले महीने 22 प्रत्याशियों की सूची जारी कर प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर कांग्रेस से चल रही गठबंधन की अटकलों पर विराम लगा दिया। इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। इसके बाद कांग्रेस की सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन की बैठकें चलीं।
लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को खजुराहों में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इससे पहले सपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर कांग्रेस की उ मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एवं अन्य नेताओं के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हीरा सिंह करकाम की राजधानी भोपाल में पिछले एक पखवाड़े के भीतर कई दौर की बैठकें चली। दोनों दलों के बीच गठबंधन पर सहमति नहीं बनी तो गोंगपा ने 24 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।
दरअसल गोंगपा से गठबंधन नहीं होने की यह वजह सामने आ रही है कि गोंगपा उन सीटों की मांग कर रही जहां से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस इन सीटों को देने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि कांग्रेस का अभी तक किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं हो सका है।
बगाबतियों को अखिलेश का खुला आॅफर
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस, भाजपा एवं अन्य दलों के चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को सपा में शामिल होने का ुाला आॅफर दिया है। खजुराहो प्रवास के दौरान अखिलेश ने कहा कि सपा मप्र में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दूसरे दल के ऐसे नेता जिन्हें टिकट नहीं मिला है और वे चुनाव जीत सकते हैं, उन्हें सपा चुनाव में टिकट देगी।
गुप्त गठबंधन की अटकलें शुरू
कांग्रेस के साथ किसी भी दल ने गठबंधन नहीं किया है, लेकिन सभी सीटों पर प्रत्याशी भी नहीं उतारे हैं, ऐसे में कांग्रेस के साथ गुप्त गठबंधन की अटकलें भी शुरू हो गई हैं। बताया गया कि बसपा और सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार थे, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते दोनों दल पीछे हट गए। हालांकि गुप्त समझौते की पूरी संभावना है।