वॉशिंगटन। हफ्ते भर के अंदर अमेरिका ने चीन को दूसरा झटका देते हुए साबित कर दिया है कि भारत उसका अहम सहयोगी है। अमेरिका ने भारत को स्ट्रैटजिक ट्रेड आॅथराइजेशन-1 (एसएटी-1) लिस्ट में शामिल कर लिया है। इस लिस्ट में शामिल होने वाला भारत पहला दक्षिण एशियाई देश है। एसएटी-1 में शामिल होने के बाद अब भारत को हाइ-टेक्नॉलजी प्रॉडक्ट्स की बिक्री का रास्ता आसान हो जाएगा, खासतौर पर सिविल स्पेस और डिफेंस सेक्टरों में।
America’s second blow to China in a week, this special status given to India
इससे पहले अमेरिका ने रक्षा विधेयक पास किया था जिसके तहत भारत के साथ रक्षा भागीदारी मजबूत करने की बात कही गई थी तो वहीं चीन को दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय समुद्री युद्ध ड्रिल रिम आॅफ द पसिफिक एक्सरसाइज का हिस्सा बनने से रोके जाने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा पेइचिंग की कंपनियों को रक्षा तथा सुरक्षा क्षेत्र के लिए कुछ दूरसंचार उपकरणों तक पहुंच से रोकते हैं।
जापान और दक्षिण कोरिया के बाद भारत तीसरा एशियाई देश है जिसे अमेरिका ने यह दर्जा दिया है। पूरी दुनिया में भार 37वां देश है जिसे एसएटी-1 का दर्जा मिला है जो आमतौर पर अमेरिकी नाटौ सहयोगियों को देता है। गुरुवार को जारी संघीय अधिसूचना में ट्रंप प्रशासन ने भारत को छूट दी है। बता दें कि भारत को अभी तक न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप का सदस्य नहीं बनाया गया है।
अभी तक अमेरिका सिर्फ उन देशों को एसएटी-1 की सूची में शामिल करता आया है जो मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजाइम वॉसेनार अरेंजमेंट, आॅस्ट्रेलिया ग्रुप और एनएसजी के सदस्य रहे हैं। भारत इनमें से तीन समूहों का सदस्य है लेकिन उसे अभी तक एनएसजी की सदस्यता नहीं मिल सकी है क्योंकि चीन बार-बार इसमें बाधा डालता आया है।
एसएटी-1में भारत को शामिल कर के अमेरिका ने यह भी माना है कि भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए सभी शर्ते पूरी करता है। भारत को मिली यह छूट चीन के लिए बहुत सख्त राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अमेरिका के करीबी माने जाने वाले इजरायल को अब तक यह दर्जा नहीं मिला है, शायद इसलिए क्योंकि वह निर्यात नियंत्रण समूहों का सदस्य नहीं है। अधिसूचना के मुताबिक, अमेरिका और भारत वैश्विक गैर-प्रसार और निर्यात नियंत्रण ढांचे को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध हैं।