शशी कुमार केसवानी

कितने आदमी थे और ये हाथ हमको दे दे ठाकुर जैसे शोले फिल्म के कई मशहूर डायलॉग्स आज भी लोगों की जुबान पर है। इन डायलॉग्स को फिल्म शोले में बोला था दिग्गज अभिनेता अमजद खान ने, जिन्होंने इस फिल्म में गब्बर की भूमिका अदा की थी। 70 और 80 के मशहूर विलन बनकर उभरे अमजद खान ने अपने फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी। उन्होंने सीधा साधा रोल हो या फिर विलेन बनकर हीरो को परेशान करना अपने करियर में कई शानदार परफॉर्मेंस दिए। आज अमजद खान भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन दिग्गज अभिनेता हमारी यादों में हमेशा जिंदा हैं। आज उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बाते जानेंगे। अमजद खान का जन्म मुंबई में 21 अक्टूबर 1943 में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी मुंबई में ही हुई थी। अमजद खान के पिता जयंत खान भी पेशे से अभिनेता थे। अमजद खान के छोटे भाई इम्तियाज खान भी अभिनय करते थे। अमजद खान बड़े पर्दे पर जितने अच्छे विलन थे, असल जिंदगी में वो उतने अच्छे पिता और पति थे। उनकी पत्नी शेहला खान ने खुद इस बात का खुलासा किया था। अमजद खान अपनी पत्नी शहला को स्कूल के दिनों से जानते थे। दरअसल, शेहला और अमजद मुंबई के बांद्रा में एक-दूसरे के पड़ोसी थे। जब अमजद खान कॉलेज में अपनी बी.ए. की पढ़ाई कर रहे थे और शहला 14 साल की उम्र में स्कूल में थी, लेकिन कम उम्र में ही अमजद खान उनके प्यार में पड़ गए थे। एक बातचीत करते हुए शहला ने बताया था कि अमजद खान को ये बिलकुल पसंद नहीं था कि वो उन्हें भाई बुलाए। शहला ने ये भी बताया कि अमजद खान ने उन्हें उनके नाम का अर्थ बताते हुए ये तक कह दिया था कि तुम जल्दी बड़ी हो जाओ क्योंकि मुझे तुमसे शादी करनी है। शहला खान ने आगे कहा, वो सिर्फ यही नहीं रुके उन्होंने कुछ दिनों में शहला के घर पर शादी का प्रपोजल भेज दिया, जिसको उनके पिता दिवंगत लेखक और गीतकार अख्तर-उल-ईमान ने ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि वो शादी के लिए अभी बहुत छोटी हैं और ये उचित नहीं है। शहला खान ने कहा शादी का प्रस्ताव ठुकराने की वजह से अमजद खान बहुत ही नाराज हुए थे और उन्होंने ये तक कह दिया था कि अगर ये मेरा गांव होता तो मैं आपके परिवार की तीन पीढ़ियों का सफाया कर देता। हालांकि इन दोनों के बीच बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए शहला खान के पिता ने उन्हें पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेज दिया। लेकिन गब्बर यानी अमजद खान ने हार नहीं मानी और वो उनसे चिट्ठियों के द्वारा जुड़े रहे। अनेक बरसों से हिन्दी सिनेमा में डाकू का एक परम्परागत चेहरा चला आ रहा था। धोती-कुरता। सिर पर लाल गमछा। आँखें हमेशा गुस्से से लाल। मस्तक पर लम्बा-सा तिलक। कमर में कारतूस की पेटी। कंधे पर लटकी बंदूक। हाथों में घोड़े की लगाम। और मुँह से आग उगलती गालियाँ। फिल्म शोले के गब्बर सिंह उर्फ अमजद खान ने डाकू की इस इमेज को एकदम काऊ बॉय शैली में बदल दिया। उसने ड्रेस पहनना पसंद किया। कारतूस की पेटी को कंधे पर लटकाया। गंदे दाँतों के बीच दबाकर तम्बाखू खाने का निराला अंदाज। अपने आदमियों से सवाल-जवाब करने के पहले खतरनाक ढंग से हँसना। फिर गंदी गाली थूक की तरह बाहर फेंकते पूछना – कितने आदमी थे? अमजद ने अपने हावभाव, वेषभूषा और कुटिल चरित्र के जरिए हिन्दी सिनेमा के डाकू को कुछ इस तरह पेश किया कि वर्षों तक डाकू गब्बर के अंदाज में पेश होते रहे। शोले फिल्म के गब्बर सिंह को दर्शक चाहते हुए भी कभी नहीं भूल सकते। पर्दे पर खलनायकी के तेवर दिखाने वाले अमजद निजी जीवन में बेहद दरियादिल और शांति प्रिय इंसान थे। अमिताभ बच्चन ने एक बातचीत हमेंं बताया था कि अमजद बहुत दयालु इंसान थे। हमेशा दूसरों की मदद को तैयार रहते थे। यदि फिल्म निर्माता के पास पैसे की कमी देखते, तो उसकी मदद कर देते या फिर अपना पारिश्रमिक नहीं लेते थे। उन्हें नए-नए चुटकुले बनाकर सुनाने का बेहद शौक था। अमिताभ को वे अक्सर फोन कर लतीफे सुनाया करते थे। अमिताभ से उनकी बड़ी गहरी दोस्ती रही। एक फिल्म रूमी जाफरी ने लिखी थी। जिसमें अमजद खान थे पर वो फिल्म पूरी नहीं हो सकी। रूमी जाफरी के भी कई यादगार किस्से अमजद खान के साथ जुड़े है। जो हम कभी आप सब लोगों के साथ शेयर करेंगे। आखिरकार अमजद खान कि मेहनत रंग लाई और साल 1972 में ये कपल शादी के बंधन में बंधा और शादी के एक साल बाद साल 1973 में इस जोड़े के घर बेटे ‘शादाब’ ने जन्म लिया। एक लंबे समय तक अमजद खान और शहला खान रिश्ते में रहे थे जिसके बाद अमजद खान के माता-पिता शहला खान के घर रिश्ता लेकर गए और शहला के पिता ने भी इस रिश्ते को स्वीकृति दे दी। शहला खान से शादी करने के बाद अमजद खान की किस्मत के सितारे चमक गए और उन्हें फिल्म शोले में गब्बर सिंह का रोल आॅफर हुआ। अमजद खान से पहले यह भूमिका डैनी डेंग्जोंपा को आॅफर हुई थी, लेकिन उनके पास डेट्स नहीं थी। जिसके बाद अमजद खान को गब्बर की भूमिका के लिए फिल्म में लिया गया और आज ये फिल्म सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है। फिल्म शोले ने अमजद खान की किस्मत रातों-रात बदल दी। उनके गब्बर के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया। पति की सफलता के बाद का एक किस्सा साझा करते हुए शेहला खान ने कहा था, ये शोले रिलीज होने के ठीक बाद वाला रविवार था। हम शादाब को जुहू बीच पर ले गए थे, तब मैंने देखा कि लोगों की भीड़ हमारी तरफ आ रही है। अमजद ने शादाब को उठाया, मेरा हाथ पकड़ा और कहा, भागो! बस भागो! इससे पहले कि लोग हम तक पहुंच पाते हम बड़ी मुश्किल से कार में बैठ पाए।” फैंस का इस तरह से उनको घेरना कपल के लिए तो आम बात थी, लेकिन वो नहीं चाहते थे कि बेटा शादाब ये सब झेले। अमजद खान ने अपने लंबे करियर में ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएँ निभाईं। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र जैसे सितारों के सामने दर्शक उन्हें खलनायक के रूप में देखना पसंद करते थे और वे स्टार विलेन थे। इसके अलावा उन्होंने कुछ फिल्मों में चरित्र और हास्य भूमिकाएँ अभिनीत की, जिनमें शतरंज के खिलाड़ी, दादा, कुरबानी, लव स्टोरी, याराना, चमेली की शादी प्रमुख हैं। निर्देशक के रूप में भी उन्होंने हाथ आजमाए। चोर पुलिस (1983) और अमीर आदमी गरीब आदमी (1985) नामक दो फिल्में उन्होंने बनाईं, लेकिन इनकी असफलता के बाद उन्होंने फिर कभी फिल्म निर्देशित नहीं की। अमजद खान स्टेज के जरिए फिल्मों में आए थे। 1957 की फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं से उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया था। इसके बाद साल 1973 में उन्होंने फिल्म हिंदुस्तान की कसम से एक अभिनेता के तौर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद आई 1975 में फिल्म शोले में जब उनको गब्बर सिंह के लिए चुना गया तब लोगों का कहना था कि अमजद खान की आवाज बहुत कमजोर है। तब ये बात भी सामने आई थी कि कहां संजीव कुमार, धर्मेंद्र और अमिताभ जैसे कलाकार है वह अमजद कुछ खास नहीं कर पाएंगे फिल्म में जितनी भी गोलियां चली थी ये पहली फिल्म थी जिसमें असली गोलियां चलाई गई थी। शुरुआती डॉयलागों में तो बहुत परेशानी हुई एक दिन तो उन्होंने अपनी मां को फोन कर कहा ये फिल्म में नहीं कर पाऊंगा लेकिन उनकी मां ने कहा ये फिल्म यादगार होगी उसके बाद अमजद खान एक सड़क छाप तोते वाले के पास गए तो उस तोते वाले ने कार्ड निकालकर बताया कि ये फिल्म तुम्हारे लिए मील का पत्थर साबित होगी। शुरुआती दिनों में शोले कुछ खास कर नहीं पाई लेकिन फिल्म धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी। फिर एक दिन अमजद किसी गांव में शूटिंग के लिए जा रहे थे तो उस जमाने में फिल्म के डॉयलॉग रेडियो में सुने जाते थे। अमजद ने देखा कि मेरे डॉयलॉग लोग सुनकर खुश हो रहे है तो उनका कॉन्फीडेंस बहुत बढ़ गया और इत्तेफाक से फिल्म भी चलने लगी और फिल्म इतिहास में एक यादगार फिल्म बनी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के होने के बाद भी दर्शकों ने अमजद खान के अभिनय को भी सराहा। बड़े पर्दे पर विलन की भूमिका निभाने वाले अमजद खान अपनी असल जिंदगी में अपने बच्चों और दोस्तों के लिए किसी हीरों से कम नहीं थे। उनके करीबी लोग उनसे बहुत प्यार करते थे। अमजद खान भी अपने तीनों बच्चों (शादाब, सीमब और बेटी अहलम) से बहुत प्यार करते थे। परिवार के साथ अमजद की जिंदगी खुशहाल तरीके से बीत रही थी एक कार दुर्घटना में अमजद बुरी तरह घायल हो गए। एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में लोकेशन पर जा रहे थे। ऐसे समय में अमिताभ बच्चन ने उनकी बहुत मदद की। अमजद खान तेजी से ठीक होने लगे। लेकिन डॉक्टरों की बताई दवा के सेवन से उनका वजन और मोटापा इतनी तेजी से बढ़ा कि वे चलने-फिरने और अभिनय करने में कठिनाई महसूस करने लगे। वैसे अमजद मोटापे की वजह खुद को मानते थे। उन्होंने एक बातचीत में बताया था कि- “फिल्म शोले की रिलीज के पहले उन्होंने अल्लाह से कहा था कि यदि फिल्म सुपरहिट होती है तो वे फिल्मों में काम करना छोड़ देंगे।” फिल्म सुपरहिट हुई, लेकिन अमजद ने अपना वादा नहीं निभाते हुए काम करना जारी रखा। ऊपर वाले ने मोटापे के रूप में उन्हें सजा दे दी। इसके अलावा वे चाय के भी शौकीन थे। मेरी एक मुलाकात मैं मेरे सामने ही छह-सात चाय पी ली थी चाय पीने के अलावा उन्हें चाय की जानकारी भी बहुत अच्छी थी मोटापे के कारण उनके हाथ से कई फिल्में फिसलती गई। डिम्पल कपाड़िया और राखी अभिनीत फिल्म ‘रुदाली’ अमजद खान की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने एक मरने की हालात में पहुंचे एक ठाकुर की भूमिका निभाई थी, जिसकी जान निकलते-निकलते नहीं निकलती। ठाकुर यह जानता है कि उसकी मौत पर उसके परिवार के लोग नहीं रोएंगे। इसलिए वह मातम मनाने और रोने के लिए रुपये लेकर रोने वाली रुदाली को बुलाता है। लेकिन 27 जुलाई 1992 का वो मनहूस दिन भी आया जब वो इस दुनिया को अलविदा कह गए। अमजद खान को किसी से मिलना था और वो तैयार होने के लिए अपने कमरे में गए थे, जहां उनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। जब निधन हुआ उस वक्त उनकी उम्र 52 वर्ष थी। लेकिन आज भी गब्बर सिंह के नाम से कई फिल्में बनाई जाती है अक्षय कुमार की अभिनीत फिल्म “गब्बर इज बैक ” जय हो…