मंदसौर में सरकार से नाराज किसान, अन्नदाता सियासी दलों से मांग रहे हिसाब

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मंदसौर। बीते साल हुये आंदोलन को याद कर मंदसौर के लोग आज भी सहम उठते हैं. किसानों के जेहन में आज भी वो दिन बैठा हुआ है जब आधा दर्जन किसानों को मौत की नींद सुला दिया गया था. इसके अलावा सात आठ साल की मासूम के साथ हुई दरिंदगी के बाद समूचे देश में मंदसौर की थू-थू हुई थी, जिससे बीजेपी के खिलाफ लोगों में आक्रोश है. जिले के सियासी समीकरणों की तरफ रुख करें तो जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन बीजेपी जबकि एक कांग्रेस के पास है.
Anand Pawar, the angry farmer from the government in Mandsaur, has demanded from the political parties
इस बार के चुनाव में यहां के किसानों ने बीजेपी को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे दी है. किसानों ने दो टूक कह दिया कि उनके छह भाईयों की मौत का हजार्ना बीजेपी को भुगतना पड़ेगा. साथ ही लोगों का आरोप है कि नेताजी ने पिछले दस वर्षों में कुछ नहीं किया. किसानों का आरोप है कि उन्हें फसल का सही मूल्य नहीं मिलता.

कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी विधायक पांच साल बाद लोगों के बीच जाते हैं, हाथ जोड़ते हैं और राम-राम करके निकल जाते हैं. उनके खाते में विकास के नाम पर कुछ नहीं है. साथ ही कांग्रेस सरकार में आने पर विकास का वादा करती नजर आयी. वहीं बीजेपी अपने काम गिनाते और विकास का दावा करने से नहीं चूकी.

एक तरफ किसान आंदोलन से किसानों में नारजगी है तो दूसरी तरफ मासूम से हुई दरिंदगी से महिला वर्ग आक्रोशित है. कुल मिलाकर इस बार अपने ही गढ़ में बीजेपी की राह आसान नहीं. कांग्रेस-बीजेपी भले ही विकास के लाख दावे कर ले लेकिन जनता किसके सर जीत का सहरा बांधती है तो 11 दिसंबर को ही साफ होगा.