5 राज्यों के चुनाव का ऐलान: 2018 के ‘सूर्यास्त’ में दिखेगी 2019 के ‘सूर्योदय’ की झलक

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नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के साथ ही सबसे लंबे और अहम सियासी मौसम का आगाज हो गया है। इन विधानसभा चुनावों के बाद ही आम चुनाव की भी बिसात बिछ जाएगी। जाहिर है, इन राज्यों में जो बेहतर प्रदर्शन करेगा, वह अपने पक्ष में माहौल बनाते हुए आम चुनाव के दंगल में उतरेगा।
Announcement of election of 5 states: ‘Sunset’ in 2018, will be reflected in the ‘Sunrise’ of 2019
बता दें कि चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का शनिवार को ऐलान कर दिया। आयोग ने छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में एक चरण में ही चुनाव कराए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 18 सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग होगी।

इसके बाद दूसरे चरण में 72 विधानसभा क्षेत्रों में 20 नवंबर को चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश और मिजोरम में एक ही चरण में 28 नवंबर को वोटिंग कराने का ऐलान किया है। राजस्थाना और तेलंगाना में सात दिसंबर को वोटिंग होगी। मतगणना 11 दिसंबर को होगी और उसी दिन परिणाम आ जाएंगे। चुनावों की घोषणा के साथ ही सभी 5 राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

विपक्षी महागठबंधन को मिलेगी दिशा
इन विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद ही विपक्षी महागठबंधन की दिशा तय होगी। अगर बीजेपी का इन चुनावों में परिणाम बेहतर रहा, तो फिर क्षेत्रीय पार्टी रक्षात्मक मुद्रा में जा सकती है। साथ ही वे सहयोगी दल, जो चुनाव से पहले बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके भी तेवर नरम पड़ सकते हैं। लेकिन इसके उलट हुआ, तो फिर न सिर्फ विपक्ष को 2019 में उम्मीद की किरण दिखेगी, बल्कि वे एक मंच पर आने में भी जल्दी दिखाएंगे। बीजेपी के सहयोगी दलों के भी तेवर गरम हो जाएंगे।

कांग्रेस की बारगेन क्षमता तय होगी
विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस की हिस्सेदारी और भूमिका कितनी और कैसी होगी, इसका भी इन 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम से अंदाजा हो जाएगा। चुनाव से पहले बीएसपी और सपा जैसे दलों ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। अगर चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर परिणाम दिखाए, तो फिर विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और राहुल गांधी की हैसियत मजबूत होगी और वे अपने हिसाब से चीजें तय कर सकेंगे। लेकिन अगर यहां कांग्रेस कमजोर रही, तो फिर उन्हें क्षेत्रीय दलों के सामने बुरी तरह झुकना होगा।

एंटी इनकंबेंसी से कैसे निबटेगी बीजेपी
वर्ष 2014 के आम चुनाव के बाद सही मायने में बीजेपी के लिए पहली बार असल परीक्षा हो रही है। वर्ष 2014 में बीजेपी की ओर से आम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद मात्र दो ऐसे राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, जहां बीजेपी की सरकार पहले से थी। पहला राज्य गोवा था, जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और उसके बाद गुजरात, जहां पीएम मोदी और अमित शाह के गृह राज्य में भी कड़ा मुकाबला हुआ था। इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकारें हैं। पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से किस तरह निबटेगी, इसका पता इस चुनाव में चल जाएगा।