अंतरिक्ष में एक और छलांग : दुश्मनों पर बाज की नजर रखेगा ‘एमसैट’, पहली बार हजारों लोगों ने लाइव देखा सैटेलाइट लांच

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को पहली बार अपने दरवाजे आम नागरिकों के लिए खोल दिया। जिसकी वजह से हजारों लोगों ने एमसैट सैटेलाइट लांच को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के श्रीहरिकोटा से लाइव देखा। इसके लिए पांच हजार दर्शक क्षमता वाली स्टेडियम जैसी गैलरी एसडीएससी में तैयार कराई गई थी। इस गैलरी के सामने दो लांचपैड थे जहां से बैठकर रॉकेट लांचिंग का नजारा बड़ी आसानी से देखा गया।

सोमवार को श्रीहरिकोटा से सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर पीएसएलवी सी45 को लांच किया गया। इसके साथ ही 28 विदेशी उपग्रहों को भी पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया गया। जिस स्थान से सैटेलाइट को लांच किया गया है वह उत्तरी चेन्नई से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

नासा की तर्ज पर इसरो ने आम नागरिकों को रॉकेट लांचिंग का नजारा देखने की इजाजत दी। अमेरिका में भावनात्मक रूप से अंतरिक्ष अभियानों से लोगों को जोड़ने के लिए उन्हें अंतरिक्ष केंद्र में प्रवेश दिया जाता है। ऐसी ही कोशिश आज इसरो ने भी की। सभी नागरिकों को निशुल्क उपग्रह लांच देखने का अवसर मिला।

इस पहल के बारे में बताते हुए इसरो अध्यक्ष के सिवान ने बताया था, ‘नया स्टेडियम द्वीप पर बना है जहां पांच हजार लोग आ सकते हैं। एहतियात के तौर पर हम केवल एक हजार लोगों को आने की इजाजत देंगे। चूंकि लांच साढ़े नौ बजे है इसलिए आठ बजे लोगों को स्टेडियम में प्रवेश मिलना शुरू हो जाएगा ताकि आखिरी समय में कोई दिक्कत न हो।’

उन्होंने आगे कहा था, ‘लांचपैड से गैलरी केवल दो-तीन किलोमीटर दूर है। यहां से पीएसएलवी और जीएसएलवी का अच्छा नजारा दिखेगा। यदि सब सही रहेगा तो अगली बार हम पांच हजार लोगों को प्रवेश की अनुमति दे देंगे। बाद में स्टेडियम में बदलाव करके इसे दस हजार क्षमता वाला बना देंगे।’

के सिवान ने बताया कि लोगों के लिए अतंरिक्ष केंद्र का दरवाजा खोलना उनके दृष्टिकोण का हिस्सा है। जिसके जरिए वह इसरो को लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं। इससे लोगों में अतंरिक्ष कार्यक्रमों के प्रति जागरुकता बढ़ेगी। उन्होंने बताया था कि केवल भारत के नागरिक और दस साल से ज्यादा उम्र वाले बच्चों को अंतरिक्ष केंद्र में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। यदि स्टेडियम में किसी के साथ कोई भी अप्रिय घटना घटती है तो उसके लिए इसरो जिम्मेदार नहीं होगा।
इन वजहों से है खास
1. एमसैट पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखेगा। यानी बॉर्डर पर यह सैटेलाइट रडार और सेंसर पर पैनी नजर बनाए रखेगा।

2. कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस के जरिए यह पता लगाएगा कि उस क्षेत्र में कितने कम्युनिकेशन डिवाइस सक्रिय हैं।

3. सीमा पर तैनात सेंसर के जरिए दुश्मन के क्षेत्र की सटीक स्थलाकृति का पता लगाने में मदद करेगा।

4. रात के अंधेरे मे भी तस्वीरें खींचने में सक्षम है।

5. इसके जरिए दुश्मन के हथियारों और सैन्य पूंजी के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी।

6. एमसैट समुद्री उपग्रह प्रयोगों के लिए इसरो की स्वचालित पहचान प्रणाली है जो जहाजों से प्रेषित संदेशों को कैप्चर करते हैं।

7. एमसैट (रेडियो एमेच्योर सैटेलाइट कॉपोर्रेशन), भारत से आॅटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम, पोजीशन डाटा की निगरानी और शौकिया रेडियो आॅपरेटरों की सहायता करेगा।

8. यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम की जांच करेगा।

9. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेश में निर्मित 436 किलोग्राम वजन वाली इस सैटेलाइट से भारतीय सर्विलांस मजबूत बनेगा।

10. पृथ्वी की 749 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित होने के कारण यह रडार नेटवर्क की निगरानी करेगा।