फर्जी मुठभेड़ मामले में आर्मी का कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 7 सैन्यकर्मियों को मिली सजा

0
176

नई दिल्ली/गुवाहाटी। असम में 1994 में 5 युवकों के फर्जी मुठभेड़ मामले में आर्मी कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिक शामिल हैं। यह फैसला असम के डिब्रूगढ़ जिले के डिंजन स्थित 2 इन्फैन्ट्री माउंटेन डिविजन में हुए कोर्ट मार्शल में सुनाया गया। हालांकि उच्च स्तर पर (जैसे कोलकाता स्थित ईस्टर्न आर्मी कमांड और नई दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वॉर्टर्स से) इसकी पुष्टि होनी बाकी है। सूत्रों ने बताया कि इसकी आधिकारिक पुष्टि होने में 2 से 3 महीने लग सकते हैं।
Army court’s historic verdict on fake encounter case, 7 army personnel sentenced to death
सूत्रों ने बताया कि जिन 7 लोगों को दोषी ठहराया गया है, उनमें मेजर जनरल ए. के. लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, कर्नल आर. एस. सिबिरेन, जूनियर कमिशंड आॅफिसर्स और नॉनकमिशंड आॅफिसर्स दिलीप सिंह, जगदेव सिंह, अलबिंदर सिंह और शिवेंदर सिंह शामिल हैं। दोषी सैन्यकर्मी इस फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।

बता दें कि मेजर जनरल लाल को लेह स्थित 3 इन्फैंट्री डिविजन के कमांडर पद से 2007 में तब हटा दिया गया था जब एक महिला अधिकारी ने उनके खिलाफ योग सिखाने के बहाने ‘अनुचित व्यवहार’ और ‘बदसलूकी’ का आरोप लगाया था। बाद में 2010 में उन्हें कोर्ट मार्शल के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल ने उनकी रिटायरमेंट बेनिफिट्स को बहाल कर दिया था।

नया कोर्ट मार्शल फैसला आॅल असम स्टूडेंट्स यूनियन (अअरव) के कार्यकतार्ओं प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबाजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन की हत्या के मामले में आया है। इन पांचों ऐक्टिविस्ट्स को पंजाब रेजिमेंट की एक यूनिट ने 4 अन्य लोगों के साथ 14 फरवरी से 19 फरवरी 1994 के बीच तिनसुकिया जिले की अलग-अलग जगहों से उठाया था।

दरअसल तलप टी एस्टेट के असम फ्रंटियर टी लिमिटेड के जनरल मैनेजर रामेश्वर सिंह की उल्फा उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद सेना ने ढोला आर्मी कैंप में 9 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से 5 लोग 23 फरवरी 1994 को कुख्यात डांगरी फेक एनकाउंटर में मार दिए गए।

अअरव के तत्कालीन उपाध्यक्ष और अभी के बीजेपी नेता जगदीश भुयान ने इस फेक एनकाउंटर के खिलाफ अकेले गुवाहाटी हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद इस मामले की सीबीआई जांच हुई। असम के मौजूदा मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल एक समय अअरव के अध्यक्ष रहे थे।