भिंड-मुरैना में सेना रेस्क्यू में जुटी, लोगों को एयरलिफ्ट करने की तैयारी

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TIO भिंड

राजस्थान और मध्य प्रदेश में हो रही भारी बारिश के चलते चंबल नदी उफान पर है। दोनों राज्यों के कई जिलों में चंबल नदी में आई से बाढ़ से हालात बेकाबू हो गए हैं। चंबल किनारे बसे 42 गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है। कई गांव खाली करा लिए गए हैं। भिंड में चंबल नदी का जलस्तर 127.68 मीटर तक पहुंच गया है। 8 सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा नदी का जलस्तर। वर्ष 1971 में 148.06 और 1996 में 128. 36 मीटर रहा था वाटर लेवल। ऐसे में सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। भिंड, मुरैना और श्योपुर में हालात ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। यहां चंबल किनारे के गांवों से सेना लोगों को रेस्क्यू कर रही है।

मुरैना में भी सेना तैनात, दो बच्चियां डूबीं

कोटा-बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी से ग्वालियर अंचल के तीन जिलों में दूसरे दिन बाढ़ की और भी भयावह स्थिति रही। श्योपुर व भिंड के बाद सोमवार को मुरैना में भी सेना को तैनात करना पड़ा। सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बाढ़ग्रस्त जिलों के कलेक्टर-एसपी से बात करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि बचाव व राहत कार्यों में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए।

इसके बाद भिंड कलेक्टर ने चंबल के किनारे के गांवों में फंसे लोगों को निकालने के लिए एयर लिफ्ट की तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए अटेर में हेलिपैड भी बनाया जा रहा है। क्षेत्र के स्कूल भी बंद करवा दिए गए हैं। मुरैना में चंबल पर बने पुराने राजघाट पुल से करीब 5 फीट ऊपर से पानी बह रहा है। इस बीच सेना ने 22 गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर एक हजार से ज्यादा लोगों को निकाला गया।

इस दौरान बरबासिन में ऑपरेशन के दौरान दो बच्चियां बह गईं। बाद में एक बच्ची का शव मिला। श्योपुर में सेना ने बाढ़ में फंसे करीब 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। वहीं एक गांव को खाली कराया गया। भिंड में भी हालात बदतर रहे। गांवों से 500 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इस बीच कोटा बैराज से सोमवार सुबह तक 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, जो शाम को 20 हजार क्यूसेक तक घटा दिया गया।

श्योपुर: दो गांवों में 45 से ज्यादा कच्चे मकान गिरे

यहां चंबल खतरे के निशान (199.50 मीटर) से सवा मीटर (200.76) ऊपर बह रही है। उधर, पार्वती भी खतरे के निशान (193.50) से ऊपर (201.50) है। सेना और जिला आपदा प्रबंधन की टीम ने मिलकर जिले से 300 से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थलों पर पहुंचाया। सांड गांव को खाली करा दिया गया है। गांव से 250 से ज्यादा लोगों को निकाल लिया। वहीं, श्योपुर ब्लॉक के सामरसा और जैनी गांव में 45 से ज्यादा कच्चे मकान ढह गए। वीरपुर के दिमरछा, बढेरा व सांथेर गांव चंबल के साथ कूनो नदी से भी घिर गए हैं। 24 घंटे से बिजली गुल है। पहुंच मार्ग 20 फीट तक डूबी हुई हैं।

मुरैना : 90 गांवों में था अलर्ट, आज भरने लगा पानी

जिन 90 गांवों के लिए चेतावनी जारी की गई थी, उनमें सोमवार को पानी भरने लगा। 22 गांवों में प्रशासन ने सुबह से ही रेस्क्यू शुरू किया। जौरा के देवगढ़ क्षेत्र में बरबासिन के चितौरा का पुरा में होमगार्ड टीम रबर बोट से महिलाओं व 4 बच्चों को निकाल रही थी। सभी की संख्या करीब 14 थी। इसी दौरान बोट पंक्चर हो गई। सभी लोग पानी में डूबने लगे। पटवारी व पुलिस पानी में कूद गए और सभी को बचा लिया गया, लेकिन 3 वर्षीय रोनिका व रोनिका की बुआ की बेटी सुमायली बह गए।

इनमें से रोनिका का शव बाहर निकाल लिया गया। सुमायली का कोई पता नहीं है। आर्मी के पास चप्पू बोट थे, जो अंबाह में फेल हो गए। सुखध्यान का पुरा अंबाह में फंसी 50 वर्षीय महादेवी जाटव की तबियत बिगड़ी और इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई।

भिंड: एयर लिफ्ट कराने की तैयारी

नदी में लगातार आ रहे उफान के बाद कलेक्टर छोटे सिंह ने नदी किनारे के 4 और गांवों को खाली कराने के निर्देश दिए हैं। यहां बता दें कि इससे पहले प्रशासन 8 गांवों को खाली करा रहा है। सेना की 25वीं ग्रेनेडियर कोर ग्वालियर, झांसी की इंजीनियरिंग कोर ने रेस्क्यू के लिए मोर्चा संभाल रखा है। सोमवार सुबह 10 बजे सबसे पहले मुकुटपुरा, नावली वृंदावन गांव में रेस्क्यू शुरू किया गया। सेना अपने साथ एल्यूमीनियम की 4 बोट लेकर आई है। फूफ क्षेत्र में ज्ञानपुरा का मजरा और लहार क्षेत्र के 3 और गांवों को खाली कराने के लिए मुनादी शुरू करा दी है। पिछले 2 दिन में एक हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला गया है।