उत्तर भारत में बरेली का मांजा और झुमका ही नहीं बरेली का संतोष और वहां का गंवारपन भी दुनिया में मशहूर है।मुझे इस भाग्य का सौभाग्य है कि मेरी गर्भनाल उत्तरभारत के उत्तर प्रदेश में है और मै उत्तर भारत के मध्य प्रदेश में फ्ला-फूला हूँ।लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हम उत्तर भारतियों को सिवाय संतोष गंगवार के किसी और ने अब तक पहचाना ही नहीं था।
मैं संतोष की प्रज्ञा को नमन करना चाहता हूँ बरेली के मांजे की तरह तीक्ष्ण संतोष कहते हैं कि उत्तर भारत वाले योग्यता में कमतर हैं इसीलिए अवसर होते हुए भी उन्हें अवसर नहीं मिलते ।बात सोलह आने सच हो सकती है क्योंकि संतोष भाई ने कही है। इस हकीकत के लिए जो लोग हमारे संतोष भाई को ट्रोल कर रहे हैं वे भी योग्य नहीं है ।वे नहीं जाते कि उत्तर भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में अयोग्य लोगों का अक्षय भण्डार है ।खुद संतोष इसी भण्डार का एक नायाब नमूना है।
संतोष का बयान जैसे ही नभमंडल से होते हुए हमारे पंडित जी अटल बिहारी बाजपेयी जी के कानों में पड़ा ,वे स्वर्ग में रहकर भी तिलमिला गए ।अब वे नीचे तो आ नहीं सकते थे सो मेरे सपने में आकर बोले -‘उठो पंडित ! ,संतोष को उत्तर भारत के बारे में कुछ बताओ ?’अब पंडित जी का आदेश मै न मानूँ ये कैसे हो सकता है ,इसलिए उत्तर लिखने तो बैठ गया लेकिन निरुत्तर ही हूँ ,मुझे सूझ नहीं रहा कि मै भारत के उत्तरी खंड की अयोग्यता की फेहरिस्त बनाऊं कहाँ से ?हमारे यहां तो अयोग्य लोगों की मी नहीं है ।एक महात्मा गांधी और सरदार बल्ल्भ भाई पटेल गलती से उत्तर भारत में पैदा नहीं हुए वरना उनके समय के अनेक अयोग्य नेता इसी खंड में पैदा हुए और देश की अगुवाई करते रहे ।
हमारे संतोष भाई चूंकि आजादी के एक साल बाद धरा-धाम पर आये इसलिए उन्हें इस बात की आजादी है कि वे जो चाहें सो कहें और निर्भीकता से कहें ।उन्होंने मेरी ही तरह बीए ,एलएलबी किया लेकिन अटल जी ने कोई योग्य उम्मीदवार न मिलने पर अपनी केबिनेट में उन्हें पैट्रोलियम मंत्री बना दिया ।अब अगर कोई रसायन शास्त्री भाजपा के पास होता तो हमारे संतोष जी का भाग्योदय कैसे होता भला ?यानी यहां भी उत्तर भारत की अयोग्यता काम आई ।
अटल जी के बाद महामना मोदी जी के मंत्रि- मंडल में वे वित्त राज्य मंत्री हैं ,ठीक वैसे ही जैसे हमारे रिजर्व बैंक के गवर्नर ।उनके पास भी वित्त की कोई डिग्री-सिगरी नहीं हैं लेकिन हैं तो हैं ।इसलिए संतोष की बातों से हमें संतोष होता है कि उत्तर भारत में योग्य लोगों की भारी कमी है ,अवसरों की कोई कमी नहीं ।दरअसल उत्तर भारत में योग्यता ही कमी का नतीजा है कि भारत के अब तक के १५ प्रधानमंत्रियों में से ११ उत्तर भारत से बनाये गए।अब अगर दक्षिण,पूरब या पश्चिम में कोई योग्य उम्मीदवार होता तो क्या उत्तर भारत वालों ली लाटरी खुलती ?शायद कभी नहीं ।
बहरहाल हम शुक्रगुजार हैं संतोष गंगवार के कि उन्होंने उत्तर भारतीयों को चेता दिया,बता दिया कि उनकी योग्यता का बाला बरेली के बाजार में ही कहीं खो गया है ,उसे ढूंढा जाना चाहिए ,अन्यथा आगे से उन्हें प्रधानमंत्री जैसे पदों तक पहुँचने में दिक्क्त होगी ।मोरारजी भाई और मोदी जी तो योग्य उम्मीदवार थे सो उन्हें मौक़ा मिल गया लेकिन बाकियों को भी मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है ।मुझे अब अपने पुरखों की योग्यता भी संदिग्ध लगने लगी है। मुझे लगने लगा है कि उनके बारेमें ये झूठ जान-बूझकर फैलाया गया होगा कि वे योग्य थे और सबको निरुत्तर कर देते थे !
उत्तर भारतीयों की बे-वक़ूफ़ी का सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि वो गाली खाने के लिए छह बार से संतोष जी को चुनकर संसद भेजते आ रहे हैं। मुझे तो लगता है कि हमारे महामना मोदी जी ने भी उत्तर भारतीयों की इसी बेवकूफी को पहचानकर गुजरात छोड़ बनारस आकर चुनाव लड़ने का फैसला किया ,लेकिन हम मोदी जी के शुक्रगुजार हैं कि वे हमारे यहां से सांसद हैं और देश के प्रधानमंत्री भी ।अब वे ही हैं जो उत्तर भारत की अयोग्यता क बारे में संतोष जी का प्रबोधन कर सकते हैं।उन्हें बता सकते हैं अटल बिहारी की गर्भनाल के बारे में ।
मैंने तो संतोष जी का बयान सुनते ही एक कोचिंग ज्वाइन कर ली है अपनी योग्यता बढ़ने के लिए,आपकी आप जाने ! मेरा बस एक ही निवेदन,गुजारिश,इल्तजा है कि आप लोग संतोष जी की बात को ज्यादा गंभीरता से न लें क्योंकि उनकी अपनी पार्टी और उनका अपना संघ भी उन्हें ज्यादा गंभीरता से लेता नहीं है।वे वहां भी चाबी वाले खिलौना हैं और यहां भी ।इसलिए सावधान रहें,अपनी योग्यता-अयोग्यता को लेकर लज्जित न हों,कोई गैंगवार शुरू न होने दें ।क्योंकि अंतत:हम उत्तर के हों या पूरब के,दक्षिण के हों या उत्तर के हैं तो भारतीय और भारतीयों में योग्यता की कोई कमी नहीं है। हम चंद्रयान-२ के साथ चन्द्रमा तक जा पहुंचे हैं ।
राकेश अचल