जैत में उठी अवैध खनन,किसानी,बेरोजगारी,आदिवासी,और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ आवाज़

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2016-17 में प्रदेश के बहुप्रचारित नर्मदा सेवा यात्रा का आयोजन किया गया था, जिसके दौरान मुख्यमंत्री ने नर्मदा संरक्षण और अवैध उत्खनन को लेकर अनेक घोषणाएं की थी। पर इसके 1 वर्ष पूरे होने के बाद भी उन घोषणाओं पर कोई कार्य नही किया गया है। मुख्यमंत्री को सभी घोषणाएं याद दिलाने 15 मई 2018 से नर्मदा सत्याग्रह प्रारंभ किया गया। पहले चरण में 15 दिनों तक नरसिंगपुर जिले के जनपद ग्राउंड में सत्याग्रह के बाद उसे प्रदेश के विभिन्न नर्मदा घाटों पर आयोजित किया गया। जैत स्थित नर्मदा घाट पर 19 जून को माँ नर्मदा सत्याग्रह का आयोजन किया गया।
Awakening against illegal mining, cultivation, unemployment, tribal and oppression of women in jute
जिसमें प्रदेश के अनेक प्रतिष्टित और जनता के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक राजनैतिक संगठनों ने हिस्सा लिया। इसमें मुख्य रूप से पूर्व विधायक गिरिजा शंकर शर्मा, पूर्व मंत्री राजकुमार पटैल, नर्मदा सत्याग्रह के आयोजक विनायक परिहार, बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय प्रमुख अक्षय हुंका, आम किसान यूनियन के केदार सिरोही, किसान नेता विश्वास परिहार, अरविन्द शर्मा, अर्जुन आर्य, किसान नेता विक्रांत राय, नर्मदा बचाओ अभियान प्रमुख बलराम, ASYF के विमलेश, आचार्य रजनीश, श्री युद्धवीर सिंह, महेन्द्र कैरव, नरेन्द्र अवस्थी, रमाकांत धाकड, मोहरकांत गुर्जर, नंदराम राजपूत, रोहित डिमोले, श्री दीपक चौहान, प्रवीण शर्मा, श्री अमन दुबे, श्री संजय मिश्रा, विभूति भूषन तिवारी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।

नर्मदा के संरक्षण और अवैध उत्खनन रोकने की माँग को लेकर प्रारंभ हुआ यह सत्याग्रह जैत पहुँचते पहुँचते पूरे प्रदेश की जनता की आवाज बन गया। प्रदेश के विभिन्न संगठनों के नेतृत्वकर्ताओं ने जैत में नर्मदा सत्याग्रह के दौरान 2 घंटे नर्मदा में खड़े होकर जल सत्याग्रह किया और लम्बे समय से अलग अलग माँगो के लिए लड़ रहे संगठनों ने एक साथ सभी माँगो को लेकर प्रदर्शन किया। इनमें मुख्यरूप से अवैध उत्खनन, नर्मदा संरक्षण, किसानी और बेरोजगारी पर प्रदर्शन किया।

इन मांगों के लिए चल रहा है सत्याग्रह
एक वर्ष पूर्व नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने नर्मदा को जीवित इकाई का दर्जा देने की घोषणा की लेकिन अब तक प्रशाश्किय आदेश सिर्फ खानापूर्ति बन कर रह गया है शीघ्र ही इसे क्रियान्वित कर नर्मदा उत्खनन को नर्मदा के जीवन के लिए खतरा मान कर माफियाओं पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए। नर्मदा किनारे के बड़े शहरों का गंदा अपशिष्ट नर्मदा में न मिले इसके लिए नालो पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की योजना क्रियान्वित करें।

घटते वन क्षेत्र को रोकने के लिए एवं नर्मदा तट पर जंगल बढ़ाने के लिए कार्य किया जाना सुनिश्चित हो एवं लकड़ी माफियाओं पर कार्यवाही के लिए कानून मजबूत किया जाए। नर्मदा में प्रदूषण घटे और पानी बढ़े इसके लिए योजना बनाकर विधान सभा के अंतिम सत्र में कानून बनाया जाए एवं कार्य न होने की स्थिति में जिम्मेदारी तय की जाए।

नर्मदा के संरक्षण और अवैध उत्खनन रोकने की माँग को लेकर प्रारंभ हुआ यह सत्याग्रह जैत पहुँचते पहुँचते पूरे प्रदेश की जनता की आवाज बन गया। प्रदेश के विभिन्न संगठनों के नेतृत्वकर्ताओं ने जैत में नर्मदा सत्याग्रह के दौरान 2 घंटे नर्मदा में खड़े होकर जल सत्याग्रह किया और लम्बे समय से अलग अलग माँगो के लिए लड़ रहे संगठनों ने एक साथ सभी माँगो को लेकर प्रदर्शन किया। यदी 14वी विधान सभा के अंतिम सत्र में नर्मदा के लिए उक्त मांगो पर कार्य नही होता और अवैध उत्खनन नही रुकता तो नर्मदा सत्याग्रह भोपाल राजधानी में भी सत्र के समानांतर 25 जून से किया जाएगा।