अयोध्या: फैसले से पहले पुलिस ने बनाया सी-प्लान एप, देवताओं पर विवादित टिप्पणी करने पर रोक

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अयोध्या

राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पूरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि नवंबर के मध्य तक इसपर फैसला आ जाएगा। अदालत के फैसले से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने चार पन्नों का एक आदेश जारी किया है। जिसमें अयोध्या जिले में रहने वाले लोगों से कहा गया है कि वह सोशल मीडिया जैसे कि वाट्सऐप, ट्विटर, टेलिग्राम और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर भगवान को लेकर दो महीने तक किसी भी तरह की अपमानजनक टिप्पणी न करें।

इससे पहले सरकार ने जिले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बहस करने पर रोक लगा दी थी। इस आदेश को अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने 31 अक्तूबर को जारी किया और यह दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 28 दिसंबर तक पूरे जिले में प्रभावी रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा एक आदेश की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

आदेश में कहा गया है, ‘किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि इंस्टाग्राम, ट्विटर और वाट्सऐप पर महान हस्तियों, देवताओं और भागवान पर कोई अपमानजनक टिप्पणी करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। जिला प्रशासन की अनुमति के बिना किसी भी देवता की कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं की जाएगी।’ आदेश में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान त्योहारों और अन्य घटनाओं को देखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं। जिसमें छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, पंचकोसी परिक्रमा, चौधरी चरण सिंह जयंती, गुरू नानक देव जयंती, गुरू तेग बहादुर शहीद दिवस, ईद-उल-मिलाद और क्रिसमस शामिल हैं।

इस आदेश को पहली बार 10 अक्तूबर को सार्वजनिक किया गया था। अब इसे 30 विस्तृत निर्देशों के साथ संशोधित किया गया है जिन्हें नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ साझा किया जा रहा है। यह किसी भी तरह के समारोह, सार्वजिक कार्यक्रम, जुलूस, रैली और रामजन्मभूमि पर वॉल पेटिंग (भित्ती चित्र) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाता है। आदेश ने सरकारी अधिकारियों को छोड़कर सभी व्यक्तियों के लाइसेंसी हथियार ले जाने पर रोक लगाई हुई है। यदि किसी को हथियार लेकर चलना है तो उसे जिला प्रशासन से इसकी इजाजत लेनी होगी।