ज्वेलरी सेक्टर को कर्ज देने में घबरा रहे हैं बैंक

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नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में सामने आए 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद से बैंक रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को कर्ज देने में घबरा रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के एमडी दिनेश खारा ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी घोटाले का अंजाम दिया था।
Banks are worried about lending to the jewelery sector
खारा ने कहा, दुर्भाग्य से पिछले कुछ महीनों में हुई घटनाओं ने ऐसी स्थिति बना दी है, जहां यह सवाल खड़ा हो गया है कि हमें ज्वेलरी सेक्टर को कर्ज देना चाहिए कि नहीं। अगर हम कर्ज देते हैं, तो यह किस दर पर देना सही होगा। उन्होंने कहा कि किसी सेक्टर को लेकर खतरे की अवधारणा पिछले अनुभवों से बनती है।

जब तक उन अनुभवों को बदला नहीं जाता, चिंता बनी रहती है। खारा ने कहा कि वैसे रत्न एवं आभूषण सेक्टर में एनपीए का स्तर महज एक फीसद है, लेकिन एक घोटाले से पूरी व्यवस्था को हिला दिया। इस बीच, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐसी बैंकिंग व्यवस्था की वकालत की है, जो ज्वेलरी सेक्टर को समङो और उसके विकास में सहभागी बने। उन्होंने कहा, भारत में हीरा, रत्न एवं आभूषण सेक्टर ढेरों रोजगार देता है। हमें ऐसी बैंकिंग व्यवस्था की जरूरत है, जो इस कारोबार को समझें। बैंकों को बिना समझे कोई खतरा नहीं उठाना चाहिए।

बैंकों की ओर से ग्राहकों को मिलने वाली कुछ निशुल्क सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की उलझन को लेकर वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) राजस्व विभाग से चर्चा करेगा। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यह जानकारी दी। डीएफएस का मानना है कि चेक बुक देना, खाते की स्टेटमेंट देना आदि जैसी निशुल्क सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। वहीं कर अधिकारियों का कहना है कि बैंक अपने ग्राहकों को खाते में एक न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त पर ये सेवाएं देते हैं, इसलिए इन्हें निशुल्क नहीं माना जा सकता।