ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट
पहले सोचा था सोमवार से कुछ दिन बेटू बुलबुल के साथ छुट्टी के बिता लें, क्योंकि साल के आखिर में विधानसभा चुनाव और उसके बाद आने वाले लोकसभा चुनाव के बाद ये छुट्टी बडी दुर्लभ सी हो जायेगी। दफ्तर से सोमवार की जगह बुधवार को जाने को कहा गया मगर रविवार की शाम होते ही घटनाएं तेजी से घटने लगीं पहले अटल जी को ढेर सारी आशंकाओं के बीच एम्स में भर्ती कराया गया मगर उनकी हालत स्थिर होते देख हमने राहत की सांस ली पर ये क्या मंगलवार की दोपहर होते होते वो अविश्वसनीय सी खबर इंदौर से आ ही गयी।
Betu Bulbul and Bandhavgarh Baya Indore ….
तकरीबन दो बजे के थोडे पहले पता चला कि इंदौर के चर्चित गुरू भैय्यू जी महाराज को गोली लग गयी है और उनको गंभीर हालत में बांबे हास्पिटल में भर्ती कराया गया है पहले तो भरोसा ही नहीं हुआ कि ये क्या हो गया सुदर्शन व्यक्तित्व वाले महाराज जी को भला कौन गोली मार सकता है, बेहद ही विनम्रता से बात करने वाले भैय्यूजी की किससे दुश्मनी हो सकती है मगर थोडी देर बाद ही साफ हो गया कि भैय्यू जी को किसी और ने नहीं खुद ही ने गोली मार कर खुदकुशी कर ली है।
चैनल को ये खबर बताते ही लगातार फोनो और डिटेल लेने और देने का काम चल रहा था साथ ही दिमाग में चल रहा था इंदौर जाने का क्या करूं क्योंकि अगले दिन से ही छुट्टी पर जाना था मन लगातार उलझनों में उलझा हुआ था उस पर अपने चैनल के साथ साथ गुजराती बंगाली और मराठी चैनलों को फोनो और जानकारी आगे बढाई जा रही थी। भैय्यू महाराज की खुदकुशी की खबर इन भाषाई चैनलों के लिये महत्वपूर्ण थी। कुछ पलों में ही साफ हो गया कि कैमरामेन होमेंन्द्र और हमारे नये साथी अजय को इंदौर रवाना कर दिया जाये, जल्दबाजी में दोनों गाडी लेकर घर से सामान लेने के लिये रवाना हो गये और इधर मैं इंदौर में अपने संपर्कों से फोन पर बात कर भैय्यू जी की मौत की पुष्टि और उनके घर पर मिला सुसाइड नोट और उसमें क्या लिखा है ये सारी जानकारियां लगातार आ रहे फोनों के बीच इकट्ठी कर रहा था।
दफ्तर की डेस्क पर मोबाइल और लैंडलाइन दोनों फोन लगातार बज रहे थे। एक से जानकारी ली तो दूसरे से दी जा रही थी कंप्यूटर की स्क्रीन पर गूगल कर भैय्यू जी महाराज के जीवन से जुडी जानकारियां जुटाने का काम भी साथ ही चल रहा था। इसी बीच में वही हुआ जिसका अंदेशा था कहा गया बडी खबर है जल्दी इंदौर निकलो कुछ और रिपोर्टर भेजे जा रहे हैं, इंदौर में नये लोग तुम्हारी मदद के बिना कुछ नहीं कर पायेंगे और रही छुट्टी की बात तो एक दो दिन बाद प्लान कर लेना।
बस फिर क्या था दिनेश को साथ ले उसकी मोटर साइकिल पर सवार हो घर पहुंचे और जिस बेग को बेटू बुलबुल के साथ बांधवगढ लेकर जाना था उसे लेकर निकल पडे इंदौर की ओर ऐसे अचानक लगने वाले झटके झेलने के लिये परिवार के लोग आदी हो चुके हैं इसलिये किसी ने कोई सवाल नहीं किया बल्कि जल्दी जल्दी मेरी मदद की जाने लगी सामान इकट्ठा करने में और थोडी देर बाद मैं मुन्ना और अजय इंदौर के रास्ते पर थे।
तीन घंटे बाद ही हम बायपास पर बने भैय्यू जी महाराज के सिल्वर स्प्रिंग वाले घर के सामने खडे हो पीटीसी और वाकथ्रू कर रहे थे। घटना बेहद ही अफसोसजनक थी मगर बडी बात यही रही कि घटना के सामने आने के बाद से जो तथ्य हम अपने फोनो में दे रहे थे वही सच्चाई सामने आ रही थी यानिकी भैय्यू जी महाराज की मौत की वजह पारिवारिक कलह रही और यही बात हम खुदकुशी की खबर सामने आते से कह रहे थे। एक रिपोर्टर के लिये राहत की बात यही रहती है कि खबर देने की जल्दबाजी में वो कोई ऐसा तथ्य ना बताये जो बाद में झूठ या गलत साबित हो।
खैर अगले दो दिन बडी मारामारी वाले रहे और इन दिनों को पूरी प्रतिबद्धता से गुजारकर हम वापस बेटू बुलबुल के साथ बांधवगढ पहुंच गये हैं और ये भी कम बात नहीं है।
एबीपी न्यूज, भोपाल