पुणे। महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा का कथित रूप से जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी) कनेक्शन सामने आया है। महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को पुणे की सेशंस कोर्ट में बताया कि माओवादियों से संबंध के आरोप में छह जून को गिरफ्तार हुए लोग दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में मारे गए नक्सली नेता नवीन बाबू की याद में एक कार्यक्रम आयोजित करने वाले थे।
Bhima-Koregaon Violence: In the memory of Naxalite who was arrested in the JNU
एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में हिंसा से एक दिन पहले पुणे में यलगार परिषद के आयोजन के सिलसिले में नागपुर, दिल्ली और मुंबई से अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सरकारी वकील उज्ज्वला पवार ने अदालत को बताया कि पकड़े गए आरोपी प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के सीधे निर्देशों पर आरोपी गैर-कानूनी काम कर रहे थे।
इसमें जेएनयू में प्रस्तावित कार्यक्रम भी शामिल था। यूएपीए कानून के तहत आरोपियों की रिमांड 14 दिन और बढ़ाने की मांग करते हुए पवार ने अदालत से कहा, ‘सीपीआई (माओवादी) की छात्रों को उकसा और भड़काकर अपने संगठन का हिस्सा बनाने की साजिश में आरोपी शामिल थे।’
‘राष्ट्र विरोधी साजिश पर काम कर रहे थे आरोपी’
आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) के तहत 15 दिन की रिमांड का प्रावधान है लेकिन यूएपीए में विशेष प्रावधान के तहत आरोपियों की 30 दिन की रिमांड मिल सकती है। स्पेशल जज (यूएपीए) केडी वदाने की कोर्ट में 4 आरोपियों दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता रोना विल्सन, अकैडमिशन सोमा सेन और पीएमआरडी के महेश राउत को पेश किया गया। वहीं इस मामले में पांचवें आरोपी वकील सुरेंद्र गाडलिंग मेडिकल आधार पर न्यायिक हिरासत में हैं।
सरकारी वकील ने कहा, ‘अभी चल रही जांच अहम मोड़ पर है। सीपीआई (माओवादी) की राष्ट्र विरोधी साजिश पर आरोपी किस तरह काम कर रहे थे और प्रतिबंधित संगठन उन्हें कैसे पैसा मुहैया करा रहा था, इन सभी से पर्दा उठ जाएगा। एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव हिंसा से पहले यलगार परिषद और माओवादियों से संबंध से आगे जाते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली साजिश की दिशा में जांच को बढ़ाने की जरूरत है।’