बांका। बिहार के बांका जिले के 3 गांवों के 2,000 से ज्यादा लोगों की फरियाद जब सरकार ने नहीं सुनी तो महिलाओं ने खुद सड़क बनाने की ठानी। कड़ी धूप में महिलाओं ने अपने दम पर सिर्फ 3 दिनों में 2 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़क का निर्माण कर लिया। उन्हें पुरुषों का भी समर्थन मिला। इस गांव में आजादी के बाद से कभी सड़क नहीं बनी थी।
Bihar government did not create roads, women made it in 3 days, 2 km road
बांका जिले के नीमा, जोरारपुर और दुगार्पुर के लोग सड़क न होने से कई वर्षों से परेशान थे। कई लोगों की मौत तो सिर्फ इसलिए हो गई, क्योंकि सड़क न होने के कारण वे लोग समय से अस्पताल नहीं पहुंच सके। नीमा की रेखा देवी ने बताया कि उनके लोगों का दर्द तब और बढ़ जाता था जब बारिश में रास्ता दलदल में बदल जाता।
प्रशासन की दलील
रेखा ने कहा कि उनका गांव ब्लॉक मुख्यालय से मात्र ढाई किलोमीटर है, वे लोग वहां तक भी नहीं पहुंच सकते थे। गांव में कई गर्भवती महिलाओं ने इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि वे समय से अस्पताल नहीं पहुंच सकीं। प्रशासन की मानें तो पांच साल पहले उन लोगों ने इन गांव के लिए सड़क बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण करने का प्रयास किया था लेकिन भूमि मालिकों के विरोध के चलते वे लोग ऐसा नहीं कर सके। गांव की महिलाओं और बच्चों को सड़क न होने से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने खुद सड़क बनाने की ठानी।
डीएम ने भी की महिलाओं की तारीफ
नीमा, जोरारपुर और दुगार्पुर गांव की 130 महिलाओं ने एक समूह बनाया। उन लोगों ने फैसला लिया कि बारिश का मौसम आने से पहले वे लोग अपने गांव के लिए खुद सड़क बनाएंगीं। महिलाएं सुबह सूरज उगने के बाद सड़क बनाने के काम में लग जाती थीं और सूरज ढलने के बाद ही घर लौटती थीं।
हाथों में टोकरी, फावड़ा लेकर बिना कड़ी धूप की परवाह किए महिलाएं लगातार मेहनत करती रहीं। तीन दिनों के अंदर महिलाओं ने दो किलोमीटर लंबी सड़क बना ली। इसका पता चलते ही बांका डीएम कुंदन कुमार ने महिलाओं के इस प्रयास की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने जो सड़क बनाई है, अब प्रशासन उस सड़क को कंक्रीट की बनाएगा। प्रशासन की मानें तो इन गांव में 500 घर हैं और इनकी आबादी लगभग 2000 की है।