भोपाल। चुनाव सिर पर आने के बाद टिकट के दावेदारों को लेकर भारतीय जनता पार्टी अब प्रमुख कार्यकर्ताओं का मन टटोल रही है। पार्टी ने पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं से टिकट के दावेदारों का सुझाव एकत्र के करने के लिए जिला स्तर पर रायशुमारी शुरू कराई है। 18 अक्टूबर तक प्रदेश की सारी विधानसभा सीटों से दावेदारों का फीडबैक मंगाया गया है।
BJP will cut the mind of the workers before starting the ticket, to begin the referendum at the district level
विधानसभावार इसमें प्रदेश के दो नेताओं की ड्यूटी लगाई गई है। कार्यकतार्ओं को तीन लिफाफे दिए जाएंगे, जिसमें से एक में उन्हें अपनी विधानसभा के तीन दावेदारों के नाम वरीयता क्रम में लिखना है। इसमें खुद का नाम सहित पूरा पता भी भरना होगा। कार्यकतार्ओं के लिए बंदिश होगी कि वे खुद का नाम दावेदार के रूप में नहीं लिख पाएंगे।
कार्यकर्ताओं का गुस्सा निकालने की कवायद
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा टिकट बांटने से पहले कार्यकर्ताओं का गुस्सा बाहर निकालना चाहती है। इसके लिए नए सिरे से सभी विधानसभा क्षेत्रों में रायशुमारी की जा रही है। इसमें विधानसभा क्षेत्रवार प्रमुख कार्यकर्ताओं को जिला स्तर पर बुलाया जा रहा है। जाहिर है आखिरी दौर में कार्यकतार्ओं का पक्ष जानने पहुंचे नेताओं को उनके गुस्से का भी सामना करना पड़ सकता है।
पार्टी की रणनीति है कि किसी भी तरह कार्यकर्ताओं को गुस्सा बाहर आ जाए, ताकि वे आगे मन लगाकर चुनाव का काम कर सकें । कार्यकतार्ओं को तीन लिफाफे दिए जाएंगे, एक में उन्हें अपनी विधानसभा के टिकट के तीन दावेदारों का नाम वरीयता क्रम में लिखना है। दो खाली होंगे, तीसरे में एक प्रपत्र होगा। प्रपत्र वाले लिफाफे में अपना नाम, पदनाम और विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा लिखना है।
इसके बाद तीन दावेदारों के नाम प्रपत्र में भरकर उसे दूसरे खाली लिफाफे में भर देना है। जिस पर विधानसभा क्षेत्र का नाम लिखना होगा। बाद में उसे सीलबंद कर प्रभारी नेता को सौंप देना है। यह लिफाफा पार्टी मुख्यालय में खोला जाएगा, जिसके आधार पर दावेदारों की एक सूची अलग से तैयार की जाएगी। इस सूची को सर्वे की सूची से मिलान कर टिकट फाइनल किए जाएंगे।
सकारात्मक माहौल बनाने की कवायद
पार्टी में पहले परम्परा रही है कि टिकट बांटने से पहले दावेदारों को लेकर कार्यकतार्ओं से उनकी राय ली जाती है। पहली बार ऐसा अवसर आया कि चुनाव सिर पर आने के बाद भी कार्यकर्ता हाशिए पर हैं। पार्टी को मिले फीडबैक को जानने के बाद पूरे प्रदेश में यह कवायद शुरू की गई है।
इसमें विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले सभी मौजूदा एवं पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी, सांसद-विधायक पार्टी के मंडल और जिलाध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारी, कार्यसमिति सदस्य, नगर निगम महापौर, नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष, जिला पंचायत में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष, मंडी अध्यक्ष, निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, मोर्चा-प्रकोष्ठ के पदाधिकारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष (दो कार्यकाल के) को बुलाया गया है।
हर बार प्रमुख कार्यकतार्ओं से बात करती है पार्टी: विजयवर्गीय
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि भाजपा कार्यकतार्ओं से राय लेकर ही विधानसभा के प्रत्याशी उतारेगी। पार्टी का पूरा तंत्र कार्यकर्ता आधारित है। 2003 से 2013 तक के चुनाव में भी प्रमुख कार्यकतार्ओं से राय लेकर पार्टी ने टिकट फाइनल किए थे।
हर सीट में निश्चित मानदंड (क्राइटेरिया) के 4 से 6 दर्जन कार्यकतार्ओं से हम बात कर रहे हैं। इनके अलावा भी कोई प्रमुख कार्यकर्ता चाहें तो अपने जिले में आने वाले वरिष्ठ नेताओं को लिखित में अपनी राय दे सकते हैं। ये सारा फीडबैक प्रदेश नेतृत्व के सामने पहुच जाएगा।
कार्यकर्ताओं को नहीं मिलती अहमियत
भाजपा हमेशा अपने कार्यकर्ताओं का मन टटोलती रहती है। और रायशुमारी भी करती रहती है, पर पिछले कुछ चुनावों में देखने को मिला है कि कार्यकर्ताओं की रायशुमारी को उतनी अहमियत नहीं जाती जितनी की दावेदार की ताकत को देखा जाता है। यही वजह है कि भाजपा के कार्यकर्ता इस चुनाव में कुछ नाराज सा नजर आ रहा है। इसी कारण भाजपा को अपने रूठ हुए कार्यकर्ताओं को फिर से मनाने का एक प्रयास किया जा रहा है। रायशुमारी अगर कार्यकर्ताओं के हिसाब से मानी जाए तो ज्यादातर टिकट जमीन से जुड़े हुए नेताओं को ही मिलेंगे। पर इसके आसार बहुत कम ही नजर आ रहे हैं। अभी समय है भाजपा को अपने रूठे हुए कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए कुछ न कुछ तो उनकी बातों को मानना ही होगा, अन्यथा चुनाव के परिणामों पर इसका असर दिखाई देगा।