कमलनाथ के संपर्क में भाजपा के असंतुष्ठ नेता, चुनाव में टिकट कटने पर कांगे्रस में हो सकते हैं शामिल

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भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते दोनों प्रमुख दलों के बीच एक-दूसरे के दल में सेंध लगने में होड़ सी मची है। हालांकि अभी तक भाजपा नेता और कार्यकतार्ओं द्वारा पार्टी छोड़ने के सबसे ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में कटनी, राजगढ़, गुना, रीवा समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भाजपा नेताओं ने जिस तरह से पार्टी छोड़ी है, उससे प्रदेश नेतृत्व में चिंतन शुरू हो गया है।
BJP’s deputy leader in connection with Kamal Nath, may be included in Cong
पार्टी को आशंका है कि टिकट वितरण के दौरान अंसुष्ठों के बीच पार्टी छोड़ने की होड़ मच सकती है। भाजपा के इन्हीं असंतुष्ठों पर प्रदेश कांग्रेस की नजर है। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ से भाजपा के कई नेता मुलाकात भी कर चुके हैं। कांग्रेस की ओर से भाजपा में लंबे समय से हासिए पर चल रहे नेताओं पर डोरे डाले जा रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के चलते भाजपा में हर सीट पर दावेदारों की सं या बढ़ी है। एक सीट पर औसतन 8 से 10 दावेदारों के नाम चर्चा में आ रहे हैं। इनमें से एक प्रत्याशी को टिकट देने की स्थिति में शेष दावेदारों के बीच नाराजगी उभरकर सामने आ सकती है। ऐसे में पार्टी को इस बाात की चिंता है कि असंतुष्ट नेता चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का नुकसान नहीं कर दें। ऐसे असंतुष्ठ से पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ की टीम संपर्क कर रही है। यही वजह है कि चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं को मनाने की कोशिश रहेगी।

इस संबंध में मप्र भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि चुनाव के दौरान सभी कार्यकतार्ओं को टिकट देकर सं्रतुष्ठ नहीं किया जा सकता है। टिकट चयन के दौरान पार्टी ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने से पहले दावेदारों से आवेदन बुलाती है। साथ ही उनके नामों पर जिला, ब्लॉक एवं संभागीय समितियों से विचार विमर्श किया जाता है।

चुनाव में जीत की संभावना वाले का ही टिकट दिया जाता है। इस पदाधिकारी ने कहा कि जहां तक भितरघात की बात है तो असंतुष्ठ नेता या तो चुनाव में घर बैठ जाता है या फिर वह पार्टी प्रत्याशी के साथ भितरघात करता है। ऐसा हर चुनाव में हर पार्टी के साथ होता है। जहां तक असंतुष्ठी का सवाल है तो भाजपा कार्यकर्ता अनुशासित है, वह न तो पार्टी छोड़ेगा और न ही विरोध करेगा।

चुनाव के दौरान झटका देने की होड़
चुनाव के दौरान एक दल के प्रत्याशी या फिर बड़े नेता को तोड़ना या फिर अपने दल में शामिल करना, राजनीतिक दलों क चुनावी रणनीति रहती है। आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख दलों ने एक-दूसरेके संगठन में सेंधमारी की तैयारी कर ली है। पिछले दो चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस में जमकर सेंधमारी की थी, इस बार कांगे्रस ने भाजपा का चुनावी फामूर्ला अपना लिया है। जिसके तहत कांगेस ने भाजपा के असंतुष्ठों से संपर्क साधा है। भाजपा के प्रबल दावेदारों का टिकट कटन ेकी स्थिति कई नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

राहुल गांधी की मौजूदगी में होंगे शामिल
भाजपा छोड़कर कांगे्रस में शामिल होने वाले नेताओं को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में सदस्यता दिलाई जाएगी। प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद राहुल गांधी के राज्य के अलग-अलग हिस्से में दौरे रहेंगे। इसी दौरान दूसरे दलों के नेताओं को राहुल गांधी कांग्रेस में शामिल करेंगे। इसको लेकर कांग्रेस में पूरा खाका तैयार हो चुका है। पीसीसी सूत्रों ने बताया कि कांगे्रस भाजपा की उस पुरानी रणनीति पर काम कर रही है, जो पिछले चुनावों में भाजपा ने अपनाई थी। जिसके तहत चुनाव के बीच कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल कराकर विपक्ष को कमजोर करने का काम किया था।