नई दिल्ली। बीजेपी हाईकमान मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में हार के बाद नया प्रयोग कर रहा है। वह अलग-अलग जातीय समीकरणों को साधने के लिए नई लीडरशीप तैयार कर रहा है। बीजेपी ने तीनों राज्यों में जिन लोगों को विपक्ष का नेता चुना है, उससे भी यह बात साफ झलकती है।
BJP’s new experiment after defeat in three states, emphasis on racial equation tools
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका चाहते थे, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया। पार्टी ने मध्य प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय के गोपाल भार्गव को नेता चुना है। मध्य प्रदेश में 2003 के बाद से सभी तीनों मुख्यमंत्री- उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज पिछड़े वर्ग से थे।
राज्य में ब्राह्मण और सवर्ण बीजेपी से काफी नाराज हैं। इसकी मुख्य वजह एससी/एसटी ऐक्ट संशोधन है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में एससी/एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराने पर तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को रद्द करने का फैसला दिया था, जिसे केंद्र की बीजेपी सरकार ने संसद में पलट दिया था।
सवर्णों की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी ने भार्गव को विपक्ष का नेता बनाने का दांव चला है। पार्टी का विंध्य क्षेत्र में प्रदर्शन काफी कमजोर रहा, जहां सवर्णों का दबदबा है। बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही है। पार्टी को लगता है कि भार्गव और जनरल कैटेगरी के कमजोर तबके को 10 पर्सेंट आरक्षण का दांव उसे अपना खोया आधार पाने में मदद करेंगे।
वहीं, राजस्थान में बीजेपी की अंदरूनी कलह को हार की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है। यहां हाईकमान और वसुंधरा के बीच भी तनातनी देखने को मिली थी। इस वजह से पार्टी ने गुलाब चंद्र कटारिया को विपक्ष के नेता की भूमिका दी है, जिनसे वसुंधरा की नाराजगी जग जाहिर है। वसुंधरा सरकार में कटारिया गृह मंत्री के तौर पर दूसरे नंबर की भूमिका में थे और वह आरएसएस की पसंद हैं। कटारिया की वसुंधरा से कभी नहीं बनी और वह समय-समय पर यात्राएं निकालकर उन्हें चुनौती भी देते थे।
उनकी नियुक्ति से यह भी संकेत मिलता है कि आरएसएस और हाईकमान आगामी लोकसभा चुनावों में नई टीम के साथ उतरेगा, जिसमें वसुंधरा को बड़ी भूमिका नहीं दी जाएगी। हालांकि, वसुंधरा के करीबी राजेंद्र राठौर को विधानसभा में उप-नेता बनाया गया है, जिससे पता चलता है कि अभी भी पार्टी पर उनकी पकड़ मजबूत है। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा किया था। पार्टी चाहती है कि इसमें ज्यादा कमी न आए और वह इसके लिए हरसंभव कोशिश भी कर रही है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने ठाकुर नेता रमन सिंह की जगह धर्मलाल कौशिक को दी है, जो कुर्मी जाति से आते हैं। रमन सिंह पर आरोप था कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी बिरादरी के लोगों को ज्यादा तरजीह दी और दूसरे बीजेपी नेताओं के प्रति उनका रवैया ठीक नहीं था। कौशिक के जरिए बीजेपी की नजर ओबीसी वोटों पर है। वह कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल को भी काउंटर करना चाहती है, जो कुर्मी हैं।